लगातार दूसरे साल भी झारखण्ड में सूखे का असर है। मानसून में बारिश न होने से आठ जिलों में तो फसल की बुवाई ही नहीं हुई। किसान आसमान की तरफ देखकर हताश हैं। सरकार को उम्मीद थी कि अगस्त महीने में पानी बरसेगा लेकिन अब बारिश हुई भी तो फसल बोना संभव नहीं।
एक रिपोर्ट बताती है कि 18 अगस्त तक पूरे झारखंड में 43.66 फीसदी ही धान की रोपाई हुई है। सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था जिसमें से 18 अगस्त तक 7.85 लाख हेक्टेयर में ही रोपाई हो सकी है। यह औसत झारखंड के कृषि विभाग ने जारी किया है। धान रोपाई के मामले में राज्य के कुल 24 जिलों में से आठ जिलों में हालत गंभीर है।
झारखण्ड में 18 अगस्त तक पलामू जिले में राज्य का सबसे कम धान रोपाई क्षेत्रफल 2.96 प्रतिशत दर्ज किया गया है। इसके बाद जामताड़ा (5.63%), दुमका (7.66%), गढ़वा (8.43%), धनबाद (10.26%), गिरिडीह (11.42%), कोडरमा (12.61%) और चतरा (16.35%) के नाम हैं। धान बुवाई के यह आंकड़े झारखण्ड -सरकार के लिए भी चिंताजनक हैं। किसानों के सामने भविष्य में जीवनयापन की चिंता है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने 29 अक्टूबर, 2022 को राज्य के 260 ब्लॉकों में से 226 को सूखा प्रभावित घोषित किया था। मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना के तहत प्रत्येक प्रभावित किसान परिवार को 3,500 रुपये की नकद राहत देने का निर्णय लिया था।
झारखंड सरकार ने पिछले साल राज्य के 226 सूखा प्रभावित ब्लॉकों के लिए केंद्-सरकार से 9,682 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग की थी।केंद्र-सरकार ने सूखा पैकेज के रूप में 502 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस साल धान, दलहन, मक्का, तिलहन और अनाज सहित खरीफ फसलें 18 अगस्त तक 28.27 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 13.43 लाख हेक्टेयर जमीन में बोई गईं। कम उपज और सूखा प्रभावित इलाकों में बेरोज़गारी भी बड़ा संकट है।