रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कई देशों में अन्न का संकट है| दुनियाभर में महंगाई आसमान छू रही है| कई देशों में खाने-पीने के सामान बहुत अधिक महंगे हो गए है| ऐसा अचानक नहीं हुआ है| दरअसल, पूरी दुनिया खाने-पीने का सामानों की किल्लत से जूझ रही है| कहा जा सकता है कि पूरी दुनिया में खाद्यान्न संकट ने विकराल रूप ले लिया है|
ऐसा नहीं है कि खाने-पीने के सामान की किल्लत एकदम अचानक से पैदा हो गई है| जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक सप्लाई चेन पहले ही बुरी तरह चरमरा गई थी|
दूसरी ओर, रूस-यूक्रेन जंग ने इसके लिए आग में घी का काम किया| इस युद्ध ने इस संकट को और गहरा कर दिया| इसकी वजह ये है कि रूस-यूक्रेन को ‘ब्रेड बास्केट’ कहा जाता है लेकिन जंग ने इस क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचाया है| एक तरफ एक्सपोर्ट पर गहरा असर पड़ा है| दूसरी ओर, नई फसल पर भी असर पड़ा|
तीनों फैक्टर्स की वजह से दुनियाभर में कमोडिटी के एक्सपोर्ट में काफी अधिक कमी आई है| कुकिंग ऑयल और अनाज के कुछ सबसे बड़े उत्पादकों ने कमोडिटी के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है| इस वजह से कुछ चीजों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है| कुछ देशों में महंगाई दर 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे ज्यादा हो गई है|
पिछले सप्ताह प्रकाशित वर्ल्ड बैंक कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार गेहूं की कीमतों में 40 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिल सकता है| इससे आम लोगों की रोटी, ब्रेड और बिस्किट सहित तमाम प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे| इसका असर कुछ सबसे गरीब और ऐसे देशों पर देखने को मिल सकता है, जहां खाद्यान्न उत्पादन काफी कम होता है| इसके साथ ही ऐसे देशों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा जो रूस और यूक्रेन से गेहूं के आयात पर निर्भर हैं|