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उत्तर प्रदेश : छुट्टा पशुओं के लिए 30 जिलो में बनेंगे गौ-अभयारण्य

यूपी में छुट्टा पशुओं के हमलों से 3 सालों में 469 लोगों की मौत हुई है| संसद में इस संबंध में जानकारी दी गई थी| जिसमें कृषि मंत्री ने 2018 से 2020 तक पशु हमलों से हुई मौतों का राज्यवार आंकड़ा साझा किया था| जिसके तहत इन 3 सालों में देश के अंदर छुट्टा पशुओं के हमले से कुल 3860 लोगों की मौत हुई है| इसमें से इन 3 सालों में सबसे अधिक 493 लोगों की माैत महाराष्ट्र में हुई हैं|

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सभी घर भाजपाई दलों ने इस मुद्दे पर लगातार जनसभाओं में यह सवाल उठाए थे सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में ने इस मुद्दे पर संबंधित विभागों से गंभीर चर्चा की और 100 दिन के भीतर ठोस नतीजा लाने की उम्मीद जताई|

अब उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही प्रदेश सरकार दो मुद्दों पर मंथन करके समस्या का हल निकालेगी| इनमें से एक गौशालाओं का निर्माण और दूसरा कानून के द्वारा गुजरात मॉडल को लागू करना|

छुट्टा पशुओं से किसानों की मुश्किलों को देखते हुए योगी सरकार इसके स्थायी समाधान के लिए ‘गो अभयारण्य योजना’ शुरू करने की तैयारी कर रही है। शुरुआत में 200 विधानसभा क्षेत्रों में गौशालाएं बनाने की योजना है। प्रत्येक गौशाला की क्षमता 5 हजार या इससे अधिक गोवंश की है। ये बड़ी गौशालाएं सरकारी खाली जमीन, बंजर जमीन व चारागाह पर विकसित की जाएंगी। अगर ऐसी भूमि पर अवैध कब्जे हैं तो उन्हें हटाया जाएगा।

छुट्टा पशु किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। इस समस्या के स्थायी समाधान की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इस पर तेजी से अमल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंवला में मॉडल गौशाला विकसित की जाएगी। जिले की सभी न्याय पंचायतों में ऐसी गौशालाएं विकसित की जाएंगी।

मंत्री ने बताया कि गौशाला में प्राकृतिक वातावरण होगा। मनरेगा, पंचायतीराज, वन व पेयजल विभाग के सहयोग से यहां चारा, पानी, चहारदीवारी, शेड, पशुओं के इलाज व मानव संसाधन सहित सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सभी तरह के गोवंश साथ-साथ रखे जाएंगे। गायों के दुग्ध व दुग्ध-उत्पाद से गौशाला की आय बढ़ेगी। दूध से लेकर गोबर व गोमूत्र तक का उपयोग किया जाएगा।

छुट्टा पशुओं के संरक्षण से संबंधित इस नई योजना से आमजन को जोड़ने का प्रयास होगा। कई बड़ी कंपनियां गोबर की खरीद कर व्यावसायिक उपयोग कर रही हैं। सरकार इन गौशालाओं में गोवंश के गोबर का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित करेगी। गौशालाएं अपने संसाधनों से चलेंगी।

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