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मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए खर-पतवार नियंत्रण जरूरी

बारिश के बाद खेत में हानिकारक खरपतवार उग जाते हैं, जो मिट्टी से सारा पोषण सोखकर फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं| इसके साथ-साथ खेत में जल निकासी और उर्वरक प्रबंधन का काम भी समय रहते निपटा लेना चाहिये|

मूंगफली की फसल को बढ़ने के लिये सही पोषण की जरूरत होती है| विशेषज्ञों की मानें तो मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही फसल में पोषण और उर्वरक प्रबंधन का काम करना चाहिये| आमतौर पर मूंगफली की फसल में नत्रजन, फॉफोरस, पोटाशियम, कैल्शियम, मैग्नीसियम, सल्फर, आयरन, मैग्नीज, ज़िंक, कॉपर, और बोरोन की जरूरत पड़ती है| इन उर्वरकों को जरूरत के हिसाब से खेत में डाल सकते हैं. किसान चाहें तो एनपीके उर्वरकों का भी छिड़काव कर सकते हैं| ध्यान रखें कि उर्वरकों के स्थान पर खेत में जरूरत के हिसाब से गोबर और कम्पोस्ट खाद को जरूर डालें|

खरपतवार का प्रकोप किसानों के लिये परेशानी का सबब बन जाता है| खरपतवार घासनुमा पौधे होते हैं| ये फसल की बढ़वार में रोड़ा बनते हैं| इनकी रोकथाम के लिये निराई-गुडाई करने की सलाह दी जाती है, जिससे इन हानिकारक पौधों को उखाड़कर नष्ट किया जा सके|

विशेषज्ञों की मानें तो खरपतवारों से निजात पाने के लिये बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताई लगाकर नीम की खली मिला देनी चाहिये|

मिट्टी को भुरभुरा बनाकर भी खरपतवारों को उगने से रोक सकते हैं| इसके लिये हर 1 महीने में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करते रहें|

फसल में निराई-गुड़ाई करने के कई फायदे होते हैं, इससे फसल की जड़ों को भी ऑक्सीजन मिल जाता है और मिट्टी के पोषक तत्व भी फसल को मिल पाते हैं|

खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिये पैण्डीमिथैलिन की एक किलोग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें|

मूंगफली की बुवाई के बाद पहली बार फसल प्रबंधन करने में सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में फसल काफी नाजुक होती है|

वैसे तो मूंगफली की ज्यादातर सिंचाई बारिश पर निर्भर करती है| कम बारिश होने पर भी फसल में नमी बनाये रखना जरूरी है|

मूंगफली की बुवाई देरी से की है, तो झुमका किस्म के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का काम जरूर कर लें| मूंगफली की फसल से जमीन के ऊपर सुईयां निकलने पर निराई-गुड़ाई का काम नहीं करना चाहिये|

अकसर बारिश के कारण मूंगफली की फसल में ज्यादा पानी भर जाता है, जो फसल और मिट्टी दोनों के लिये नुकसानदायक है|

ऐसी स्थिति में समय रहते खेत में जल निकासी का प्रबंध कर लें| मूंगफली की फसल, से अच्छी और स्वस्थ बढ़वार लेने के लिये जीवामृत का छिड़काव खेत में करना लाभकारी रहता है|

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