भारत में जैविक खेती को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार इसे लेकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है और कई स्कीम भी बनाई जा रही हैं। जिस तरह से केमिकल खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल बढ़ा है और उससे जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हुई है, पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ है, उसे देखते हुए देश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जैविक खेती में उपजे प्रोडक्ट को विदेशों में निर्यात किया जाता है और इसके बदले किसानों की अच्छी कमाई होती है। जैविक प्रोडक्ट को एक कमेटी के द्वारा सर्टिफिकेट देने का नियम है। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर किसानों के जैविक प्रोडक्ट विदेशों में निर्यात होते हैं। यूरोपियन यूनियन की ऑडिट रिपोर्ट में भारत के जैविक उत्पादों के प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) पर सवाल उठाया है और यह भी कहा है कि कई किसानों को जैविक खेती के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
यह रिपोर्ट कहती है कि जैविक खेती के लिए जो मापदंड हैं, उनमें कई तरह की खामियां पाई गई हैं। भारत में जैविक खेती से जुड़े नियमों के उल्लंघन की बात भी कही गई है। रिपोर्ट में लिखा गया है https://khalihannews.com/ कि भारत के कई किसान जैविक खेती के बारे में नहीं जानते। यहां तक कि उन्हें अपने ऑर्गेनिक प्रोड्यूसर्स ग्रुप के बारे में भी जानकारी नहीं है और न ही वे इंटरनेशनल कंट्रोल सिस्टम से वाकिफ हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जैविक खेती करने वाले किसान प्रतिबंधित चीजों का इस्तेमाल करते हैं या फसलों पर केमिकल खाद का प्रयोग करते हैं।
बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट में यूरोप की इस ऑडिट रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट में लिखा गया है, ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का मूल्यांकन करने वाली कमेटी को प्रोड्यूसर्स ग्रुप के बताए ठिकाने ढूंढने में परेशानी हुई। यानी जैविक खेती करने वाले किसानों के ग्रुप ने अपने ऑफिस का जो पता दिया था, उस पते पर कुछ नहीं मिला।