जलवायु परिवर्तनों का असर अब मुंबई की महिला मछली विक्रेताओं पर पड़ रहा है| वे पीढ़ियों से इस कारोबार से जुड़ी हैं| उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र माना जाता रहा है|
देश के कई हिस्सों में पिछले महीने की गर्मी रिकॉर्ड स्तर पर थी| हाल के दिनों में महिला मछली विक्रेताओं के सामने कई नई चुनौतियां आईं हैं, जैसे कि ऑनलाइन सीफूड डिलीवरी ऐप्स का बाजार में आना और चक्रवातों के बीच मछली पकड़ने के कम दिनों का होना भी शामिल है|
राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार मछुआरों को मृत्यु और विकलांगता के लिए बीमा देती है, जिसमें अब तक लगभग 2.8 लाख लोग कवर किए जा चुके हैं|
राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार मछुआरों को मृत्यु और विकलांगता के लिए बीमा देती है, जिसमें अब तक लगभग 2.8 लाख लोग कवर किए जा चुके हैं|
मछली श्रमिक संघों का कहना है कि अनिश्चित मौसम से होने वाले नुकसान के खिलाफ भी इसी तरह के बीमे की जरूरत है| एनएफडीबी द्वारा संकलित डेटा के मुताबिक पिछले दो दशकों में अरब सागर के ऊपर चक्रवातों में 52 फीसदी की वृद्धि हुई, जो समुद्र की सतह के तापमान में 1.2-1.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण है|
सीमा पाटिल कहती हैं, “समुद्र हमारा खेत है और हम भी जलवायु परिवर्तन के पीड़ित हैं|”
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश में मत्स्य पालन और संबंधित गतिविधियों में लगभग 2.8 करोड़ कर्मचारी हैं, मछली पकड़ने के बाद की सभी गतिविधियों का 70 फीसदी महिलाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है|
मुंबई में कोली समुदाय की अनुमानित 40,000 महिला मछली विक्रेता हैं, जो शहर की मूल निवासी हैं| वे मछली व्यापारियों से स्टॉक खरीदती हैं, फिर उसे छांटती हैं और पैक करने के बाद बाजार में बेचती हैं| वर्ष 2020 में भारत के समुद्रों से पकड़ी गईं कुल मछली लगभग 3.7 मिलियन टन थी, जो कि 2012 में 3.2 मिलियन टन मछली से कहीं अधिक थीं|
महाराष्ट्र मछलीमार कृति समिति के देवेंद्र दामोदर टंडेल कहते हैं कि उनकी समिति पिछले महीने के लू के कारण हुए नुकसान का आकलन कर रही है| टंडेल ने कहा कि चक्रवात आने पर उन्हें एकमात्र मुआवजा मछली के लिए भंडारण बॉक्स मिलता है|