अधिकतर पशुपालकों की शिकायत रहती है कि उनका पशु कम दूध देता है या दूध की गुणवत्ता में कमी है। यदि ऐसी कोई समस्या पशुपालकों के सामने आ रही है तो आपको ये जान लेना चाहिए कि पशुओं के खानपान मेें कोई गड़बड़ है या फिर पशु स्वस्थ नहीं है। हालांकि कुछ वर्षों के बाद पशु के दूध की मात्रा में कमी आ जाती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध की मात्रा में कमी आ रही है तो इसके लिए आपको पशु के आहार पर ध्यान देना चाहिए।
पशुओं में दूध की मात्रा और गुणवत्ता उनको खिलाएं जाने वाले आहार पर निर्भर करती है। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पशु को संतुलित आहार जिसमें सूखा चारा, हरा चारा और इसके अलावा दलिया, गुड़ या कोई अन्य प्रकार का पौष्टिक आहार दे रहे हैं तो उसमें इसकी मात्रा का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। संतुलित आहार का तात्पर्य यह है कि ऐसा आहार जिसमें सभी अव्यव निर्धारित मात्रा में शामिल हो। संतुलित आहार से पशु स्वस्थ तो रहते ही है साथ ही उनकी दूध देने की क्षमता में भी सुधार होता है।
पशु को उसके शरीर भार के अनुसार, उसके जीवित रहने के लिए जीवन निर्वाह आहार, वृद्धि, उत्पादन व कार्य के लिए वर्धक आहार की आवश्यकता होती है। इस तरह पशु के लिए दो प्रकार का आहार होता है।
आहार पशु को जीवित रहने के लिए जरूरी होता है। इस आहार से केवल पशु अपना जीवन निर्वाह कर सकता है। इस आहार को देने से दूध की मात्र को नहीं बढ़ाया जा सकता है। ये आहार तो सिर्फ उसके शरीर को चलाने का कार्य करता है न की दूध की मात्रा को बढ़ाने का।
दूसरा आहार, वर्धक आहार होता है। पशुओं को वृद्धि , उत्पादन और कार्य के लिए वर्धक आहार की आवश्यकता होती है। इस आहार से पशु के दूध की मात्रा में सुधार किया जा सकता है। इस आहार के सेवन से पशु स्वस्थ और वृद्धि करते हैं। जब अतिक्ति पोषक तत्व पशु को मिलते हैं तो शरीर में अपने आप सुधार होता है और इससे पशु की दूध देने की क्षमता भी बढऩे लगती है।
पशुओं में आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है। पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भाग दाने के मिश्रण द्वारा मिला कर तैयार करना चाहिए।
मोटे चारे में दलहनी तथा गैर दलहनी चारे का मिश्रण दिया जा सकता है। दलहनी चारे की मात्रा आहार में बढऩे से काफी हद तक दाने की मात्रा को कम किया जा सकता है। खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सके।
हरे चारे की पाचनशीलता सूखे चारे से अच्छी होती है एवं पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। हरा चारा दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।