पहले ज्यादा बारिश मुंहके कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई थी और फसल बढ़ भी नहीं पाई। इसके बाद अब पिछले कुछ दिनों से बारिश न होने के कारण सोयाबीन की फसल को खतरा बढ़ गया है। फसल की फलियां सूखकर गिरने लगी हैं और इल्ली का प्रकोप भी बढऩे लगा है। यदि कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो किसानों को सिंचाई शुरू करनी पड़ेगी।
सोयाबीन की फसल को अभी पानी की जरूरत है, क्योंकि अधिकांश फसल में फलियां आ चुकी है। पानी न गिरने से फलियां सूख रहीं हैं और इसका दाना भी छोटा रह जाएगा। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि बारिश कब होगी। सोयाबीन की फसल पकने तक अभी कुछ-कुछ दिनों के अंतराल से बारिश की जरूरत है। पहले तेज बारिश के कारण फूल झडऩे से फलियां सोयाबीन कम ही आई हैं।
सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन
सोयाबीन प्रोसेसिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने 20 से 28 अगस्त के बीच प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की फसल का सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण में सोपा ने कहा कि फसल फली बनने से लेकर फली भरने की अवस्था में है। शीघ्र पकने वाली किस्म की बोई गई फसल दाना भरने की अवस्था में है। फिलहाल तक फसल की स्थिति सामान्य है और इस पखवाड़े के दौरान हुई बारिश से फसल को मदद मिली है। साथ ही कीड़े और खरपतवार नियंत्रण में हैं।
सोयाबीन की फसल की स्थिति अभी भले बहुत अच्छी हो, लेकिन बारिश न होने से चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। काशिव ने बताया कि बीते 10 दिन से बारिश नहीं हुई है, जबकि इस समय सोयाबीन फसल के लिए पानी की जरूरत है। अगर अगले 5 से 7 दिन के भीतर बारिश नहीं हुई तो सोयाबीन की फसल सूखने लगेगी। जिससे इस साल बेहतर उत्पादन की उम्मीद अधूरी रह सकती है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 25 अगस्त तक देश में 124.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोआई हो चुकी है, पिछली समान अवधि की तुलना में करीब एक फीसदी अधिक है। इस साल मध्य प्रदेश में 53.35 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 50.02 लाख हेक्टेयर में और राजस्थान में 11.44 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। सोयाबीन के अनुसार पिछले साल देश में करीब 124 लाख टन सोयाबीन पैदा हुआ था।