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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि : अपात्र किसानों को बांट दिया 4350 करोड़ रुपया

सेवानिवृत्त और रिटायर्ड हजारों सरकारी कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उठा रहे हैं| यह लोग इस योजना के पात्र ही नहीं हैं| अब सरकारी अमला करोड़ों रुपए की इस योजना की दी गई रकम को वसूलने के लिए पसीना बहायेगा |

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बताया है कि बहुत से अपात्र किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उठा रहे हैं| ऐसे किसानों से वसूली के लिए केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है| मंत्रालय की तरफ से संसद में दी गई जानकारी में कहा गया है कि 4350 करोड़ रुपए से अधिक की राशि अपात्र किसानों को मिली है| वहीं अभी तक 296 करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है|

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में बताया कि 4352.49 करोड़ रुपए की राशि अपात्र किसानों को ट्रांसफर की गई है| लाभार्थियों को हस्तांतरित की गई कुल राशि का यह 2 प्रतिशत है| सरकार अपात्र किसानों से वसूली की कार्रवाई शुरू कर चुकी है और अभी तक 296.67 करोड़ रुपए की वसूली की गई है|

पीएम किसान योजना के तहत केंद्र या राज्य सरकार के मंत्रालयों, दफ्तर और विभाग में सेवारत या रिटायर्ड कर्मचारी इस स्कीम का लाभ नहीं ले सकते हैं| इसके अलावा आयकर दाता को योजना का लाभ नहीं मिलेगा| वहीं वर्तमान या पूर्व मंत्री, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, एमएलसी और दोनों सदनों के सांसद पीएम किसान के लिए योग्य नहीं हैं| वहीं डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, आर्किटेक्ट और सीए जैसे पेशवरों को भी योजना के लिए अपात्र माना गया है|

हालांकि आधार के सत्यापन के बावजूद तमाम अपात्र किसान योजना का लाभ ले रहे हैं. वहीं परिवार में किसी एक सदस्य को ही योजना का लाभ लेने का प्रावधान है| जबकि कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पति और पत्नी दोनों पीएम किसान के तहत रजिस्टर्ड हैं और किस्त पा रहे हैं|

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भले ही पति और पत्नी, दोनों के नाम से जमीन हो, लेकिन किसी एक ही योजना का लाभ मिलेगा|

किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी-सरकार ने 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी| प्रत्येक साल 2000 हजार रुपए की तीन समान किस्तों में किसानों को 6 हजार रुपए दिए जाते हैं| यह पूरी तरह से केंद्र की योजना है और सारा खर्च केंद्रीय बजट से आवंटित किया जाता है| हालांकि कौन किसान है और कौन नहीं, इसे तय करने का काम राज्यों के हिस्से है|

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