इस बार मार्च महीने से ही गर्मी तेज हो पड़ने लगी है | किसानों में बेचैनी है| अचानक बदले मौसम को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है|
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस समय फ्रेंच बीन, लोबिया, चौलाई, भिंण्डी, लौकी, खीरा, तुरई एवं गर्मी के मौसम वाली मूली की सीधी बुवाई के लिए मौसम अनुकूल है| बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त है| उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें| बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है| इस समय किसान मूंग की बुवाई भी कर सकते हैं. अगेती बुवाई से किसान अच्छा फायदा कमा सकते हैं| कृषि वैज्ञानिकों ने इन फसलों की किस्मों की भी जानकारी दी है|
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है| यदि रोग के लक्षण दिखाई दें तो कार्बेन्डाजिम @1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें| बेलवाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हो तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें|
फसलों की किस्में
** फ्रेंच बीन की पूसा पार्वती, कोंटेनडर
** सब्जी लोबिया की पूसा कोमल, पूसा सुकोमल
** चौलाई की पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई
** भिंण्डी की ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका
** लौकी की किस्म पूसा नवीन, पूसा संदेश
** खीरा पूसा उदय एवं तुरई की पूसा स्नेह
** गर्मी के मौसम वाली मूली पूसा चेतकी
** मूंग की पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी
तापमान तथा हवा की गति को मध्यनजर रखते हुए गेहूं की फसल जो दाने भरने की अवस्था में है उसमें हल्की सिंचाई करें| सिंचाई ऐसे समय पर करें जब हवा शांत हो अन्यथा पौधे गिरने की संभावना रहती है| पूर्ण रूप से पके तोरिया या सरसों की फसल को अतिशीघ्र काट दें|
अगर 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं| फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है| अधिक समय तक कटे फसलों को सुखने के लिए खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है इसलिए वे जल्द से जल्द गहाई करें| गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है|
कीटों से बचाव कैसे करें मूंग की फसल की बुवाई के लिए किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें| बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें| बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है|
टमाटर, मटर, बैंगन व चना फसलों में फलों/फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाएं| वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें| यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें|
प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की करें निगरानी इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें| बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें| रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकता अनुसार डाईथेन एम-45 @ 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव करें|
इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति–अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई की जा सकती है| बेबी कार्न की एच एम-4 की भी बुवाई कर सकते हैं| आम तथा नींबू में पुष्पन के दौरान सिंचाई ना करें तथा मिलीबग व होपर कीट की निगरानी करते रहें|