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पंजाब व हरियाणा में कपास की खेती को बढावा, ऊंची कीमतों से किसान भी खुश

हरियाणा और पंजाब में इस साल नरमा (कपास) कि ज्यादा क्षेत्रफल में बुवाई की जाएगी| इसके लिए किसान भी तैयार हैं| इसकी वजह, इस साल कपास की ज्यादा पैदावार और किसानों को उम्मीद से ज्यादा दाम मिलना है| गौरतलब है कि इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा दामों पर कपास की खरीदारी की जा रही है|

इस बार कृषि विभाग ने खरीफ 2022 सीजन के लिए 19.25 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा है| जहाँ तक पंजाब की बात है तो कृषि विभाग अब कपास की खेती के रकबे को 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य को प्रतिष्ठित बीज कंपनियों से 21.5 लाख पैकेट बीटी कॉटन के बीज प्राप्त हुए हैं|

विभाग ने पिछले सीजन के बाकी बचे उत्पादों को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के साथ समन्वय स्थापित किया है और इसके लिए कपास वाले इलाकों में 19 बाजारों को चालू कर दिया गया है।

अभी 10,000 से 11,000 रुपये प्रति क्विंटल का रेट चल रहा है. इसलिए अब कृषि विशेषज्ञ यह उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल कपास की खेती का दायरा बढ़ेगा. रिकॉर्ड बुवाई होगी. इस दिशा में हरियाणा सरकार ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि राज्य सरकार ने खरीफ 2022 सीजन के लिए कपास बुवाई का लक्ष्य 19.25 लाख एकड़ तय किया है. इसके अलावा, विभाग ने पहले ही पिंक बॉलवर्म यानी गुलाबी सुंडी को नियंत्रित करने के लिए कार्ययोजना की समीक्षा कर ली है|

फील्ड स्टाफ को अपने किसान जागरूकता अभियान को पूरा करने और पुराने कपास के ढेर की सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं| ताकि किसान अपनी इनकम में वृद्धि कर सकें|

डॉ. मिश्रा ने बताया कि आगामी 31 मार्च तक राज्य में सभी कपास पिराई कारखानों और तेल मिलों के पुराने स्टॉक की सफाई करने को कहा गया है| विभाग के महानिदेशक हरदीप सिंह ने बताया कि उक्त सभी फैक्ट्री मालिकों, भारतीय कपास निगम सिरसा के अधिकारियों और फील्ड अधिकारियों के साथ गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा व निगरानी के लिए एक बैठक होगी|

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में कपास मुख्य रूप से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, सोनीपत, पलवल गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, चरखी दादरी, नारनौल, झज्जर, पानीपत, कैथल, रोहतक और मेवात जिलों में उगाई जाती है| पिछले सीजन के दौरान कपास 15.90 लाख एकड़ क्षेत्र में उगाई गई थी|

राज्य के कुछ हिस्सों में गुलाबी सुृ॔डी से कपास की फसल को नुकसान भी हुआ था| इस बार कृषि विभाग ने खरीफ 2022 सीजन के लिए 19.25 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा है| उन्होंने बताया कि कृषि विभाग ने बीटी कपास बीज के लगभग 60 लाख पैकेट की व्यवस्था भी की है जो राज्य की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त है| साल 2021-22 के लिए कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6025 रुपये प्रति क्विंटल है|

कपास में पिंक बॉल वर्म के गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग ने कपास उत्पादक जिलों के लगभग 85 प्रतिशत गांवों में किसानों को शिक्षित करने का कार्यक्रम चलाया है| चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के साथ मिलकर किसानों को जागरूक किया गया है|

कपास की खेती के क्षेत्र को बढ़ाने और बेहतर उत्पादन के लिए पूरे फसल मौसम में विभिन्न सलाहों को लागू करने के लिए एक साप्ताहिक कार्यक्रम भी तैयार किया है| उपज में हानि से किसानों को बचाने के लिए पिंक बॉलवर्म के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है|

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