प्रयागराज में महाकुंभनगर की छावनी में विदेशी साधु-संतों की तादाद लगातार बढ़ रही है। अमेरिका, इटली, फ्रांस, नेपाल, इंग्लैंड व अन्य देशों से अनेक संन्यासी अपने अखाड़े की शोभा बढ़ा रहे हैं। भारतीय श्रद्धालुओं के लिए ऐसे साधक आश्चर्य का कारण हैं। गणित के प्रोफेसर रहे फ्रांस के ब्रूनो को इसी साल नागा संन्यासी की दीक्षा और नया नाम दिया जायेगा। नागा संन्यासी बनने के लिए प्रोफेसर ब्रूनो ने जूना अखाड़े का संन्यासी बनने के लिए आवश्यक सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। मिली जानकारी अनुसार फ्रांस के प्रोफेसर फेड़िक ब्रूनो दशनामी परंपरा के पंच दशनाम जूना अखाड़े के नागा संन्यासी बने हैं। महाकुंभ में जूना अखाड़े की छावनी में रहकर वह कल्पवास करेंगे। जूना अखाड़े में संन्यासी बने फेड्रिक ब्रूनो सनातन संस्कृति से इस कदर प्रभावित हुए हैं कि उन्होंने घर बार छोड़ दिया है।प्रोफेसर फेड़िक ब्रूनो के तीन बच्चे हैं। उन्होंने पत्नी और बेटे-बेटियों के भरे-पूरे परिवार की माया का परित्याग कर महाकुंभ में संन्यास ले लिया है। फ्रांस की यूनिवर्सिटी सारबोर्न के गणित के प्रोफेसर फेड्रिक ब्रूनो ने भजन और ईश्वर की भक्ति के लिए नौकरी छोड़ दी है। अब वह जूना अखाड़े में धूनी रमाकर बैठ गए हैं। ब्रूनो का कहना है कि अंकों के गुणा-भाग अब उनकी दिलचस्पी नहीं रह गई है। अब वह प्रेम और शांति चाहते हैं। जूना अखाड़े के थाना पति घनानंद गिरि को गुरु बनाने वाले प्रोफेसर ब्रूनो अब महंत ब्रूनो गिरि बन गए हैं।
महाकुंभ नगर में स्पेन से आई अवधूत अंजना गिरी, जिनका नाम पहले एंजिला था, ने कहा कि पिछले 30 सालों से वह महाकुंभ में भाग ले रही हैं, लेकिन इस बार की व्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है। सैनिटेशन पर खास ध्यान दिया गया है, और डिजिटल प्लेटफार्म से जानकारी प्राप्त करने में आसानी हो रही है, जो विदेशी श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत है।
नेपाल की महिला संत हेमा नन्द गिरी ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करते हुए कहा कि जिस राज्य में महाकुंभ आयोजित हो रहा है, वहां का मुख्यमंत्री भी एक संत है। योगी जी के नेतृत्व में महाकुंभ के आयोजन में जो भव्यता और दिव्यता देखने को मिल रही है, उससे सनातन धर्म का प्रचार अब तेजी से नेपाल और अन्य देशों में होगा।
जापान से आई योग माता और उनके शिष्यों के अलावा, नेपाल से आई महिला संत हेमा नन्द गिरी ने भी आयोजन की तारीफ की। उनका कहना है कि महाकुंभ के आयोजन में जो व्यवस्था देखी जा रही है, उससे यह स्पष्ट है कि आगामी महाकुंभ एक ऐतिहासिक आयोजन बनेगा। एयर कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्टेशन, और व्यवस्थाएं सभी स्तरों पर उत्कृष्ट हैं।