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बाढ़ आयी दुबई में और बर्बाद हुए पश्चिम बंगाल के हजारों किसान !

पिछले दिनों दुबई में भी घनघोर बरसात की वजह से बाढ़ आयी। रेतीले इलाके में यह चौंकाने वाली आपदा थी। दुबई में आई बाढ़ का असर बंगाल के किसान पर पड़ा है। अब पश्चिम बंगाल के किसान सरकारी मदद की मांग कर रहे हैं। भारत में उत्तर प्रदेश का महोबा ही नहीं पश्चिम बंगाल का मिदनापुर इलाका पान की खेती के लिए जाना जाता है। यहां के किसान अच्छी क्वालिटी वाले का पान के पत्ते की खेती करते हैं। इसके बाद यहां से उनके पान के पत्तों का निर्यात यूरोपीय संघ देशों में होता है। इस बार जब किसान अपनी पान की खेप भेजने वाले थे तब

उनके पास दूबई से संदेश पहुंचा कि वो इस बार खेप नहीं ले सकते हैं। दुबई में बाढ़ आई हुई है और कई उड़ानें रद्द कर दी गई है।
भारत में पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर बंगाल में पान का सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि हावड़ा, दक्षिण 24-परगना, कूच बिहार, अलीपुरद्वार और नादिया के कुछ हिस्सों में भी पान की खेती होती है। राज्य में राज्य में लगभग 20 लाख किसान पान की खेती से जुड़े हुए हैं। पर वे असंगठित हैं, बागवानी विभाग के साथ पंजीकृत नहीं हैं। कोलकाता में बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है। साथ ही कहा कि किसानों को वित्तीय सहायता भी दी जाती है। पर पूर्वी मिदनापुर के रामचंद्र पुर गांव के पान किसान रवीन्द्र जना ने कहा कि मदद सिर्फ कागजों पर ही मिलती है। पान की खेती करने वाले किसानों का देश के दूसरे किसानों की तरह से अपना दुःख है। एक तो पान की खेती करने वाले किसान असंगठित हैं। दूसरे, सरकार किसी भी पा पूर्वी मिदनापुर के 16 ऐसे बाजार हैं ,जहां हजारों पान किसान सप्ताह में तीन दिन अपनी उपज की नीलामी करते हैं। किसी भी आपदा के समय पानी किसानों की बेचैनी बढ़ जाती है।किसानों को अधिक नुकसान का सामना इसलिए भी करना पड़ा क्योंकि उनके पास पान के पत्ते रखने की व्यवस्था नहीं है। अगर सरकार ने उन्हें कोल्ड स्टोरेज दिया होता तो किसानों को इतना नुकसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि कोल्ड स्टोरेज में पान के पत्तों को एक सप्ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। उससे अधिक समय तक नहीं। इसलिए 24 घंटे के अंदर अपने पत्तियों को तोड़कर औने पौने दाम में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है. क पूर्वी मिदनापुर के 16 ऐसे बाजारों में से एक है, जहां हजारों पान किसान सप्ताह में तीन दिन अपनी उपज की नीलामी करते हैं।
र्टी की हो उनकी कोई नहीं सुनता है।किसान बताते हैं कि पिछले 10 वर्षों में पान की खेती करना मंहगा हो गया है। इसकी खेती में किसानों को उर्वरक खरीदने पर सब्सिडी भी नहीं मिलती है। किसानों का मुनाफा लगातार गिर रहा है। युवा पीढ़ी इस व्यवसाय को छोड़कर काम की तलाश में दूसरे शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं।

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