राजधानी लखनऊ स्थित सीएसआईआर(सीमैप) मुख्यालय में दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है। 30 जनवरी से शुरू होने वाले इस मेले में पूरे देश से करीब 5000 किसान हिस्सा लेने पहुंचेंग। इसके अलावा इस मेले में उद्यमी और उद्योग से जुड़े लोग भी मौजूद रहेंगे। यह जानकारी शनिवार को सीएसआईआर(सीमैप) के निदेशक डॉक्टर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कही।
सीमैप के निदेशक डॉक्टर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि 30 और 31 जनवरी को आयोजित होने वाले किसान मेला- 2024 में देश के करीब 21 राज्यों से 5000 से अधिक किसानों, 500 महिला उद्यमियों, सगंध कंपनियों के प्रतिनिधी एवं 15 अन्य शोध संस्थान, सरकारी तथा गैर सरकारी समितियों के सदस्य भी भाग लेंगे।
डॉ त्रिवेदी ने आगे बताया की किसान मेले में हर साल की भांति वैज्ञानिक-उद्योग-किसान-संवाद, उन्नत पौध सामग्री व प्रकाशनों का विक्रय, उन्नत पौध किस्मों, तकनीकों एवं उत्पादों का प्रदर्शन तथा विकसित कृषकोन्मुखी तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस वर्ष किसान मेले में किसानों एवं उद्यमियों के लिए एरोमा मिशन मोबाइल एप का लांच होगा। जो किसान वैज्ञानिक और खरीदारों को आपस में जोड़ने का कार्य करता है।
डॉ.त्रिवेदी ने बताया कि इस किसान मेले के जरिए हमारा उद्देश्य है कि किसानों की आय और स्टार्टअप को आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने बताया कि मेले में केरल नागालैंड मेघालय के किसान भी शामिल होंगे. इस दौरान एक ऐप भी शुरू किया जाएगा। जिसके जरिए किसान और उद्यमी एक साथ सीधे जुड़कर बातचीत कर सकेंगे। इससे किसानों और इंडस्ट्रीज के बीच की दूरी खत्म होगी। डॉक्टर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने आगे बताया कि लंबे समय से किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले के आयोजन का उद्देश्य किसानों की आय में नई तकनीक के माध्यम से वृद्धि करना है।
एरोमा मिशन की उपलब्धि बताते हुए डॉ त्रिवेदी ने कहा कि पिछले पांच सालों में 350 ट्रेनिंग प्रोग्राम विभिन्न गांवों में जाकर दिया गया है। पचास हजार से अधिक किसानों का स्किल डवलपमेंट हुआ है। दस हजार से अधिक महिलाएं अगरबत्ती के कामों में लगी हुई हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तमिलनाडू के अन्ना मलाई के एक गांव में भी हमारा मिशन पहुंचा हुआ है, जहां मोबाइल का नेटवर्क भी काम नहीं करता है। हमारे वैज्ञानिक दूर के गांवों में कलस्टर बनाने का हमेशा प्रयास करते रहते हैं। यही कारण है कि छत्तीगढ़ के बस्तर संभाग में भी कई कलस्टर इस मिशन के तहत औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।