नये साल में चुनाव से पहले केंद्र सरकार किसानों का वित्तीय संकट दूर करने के लिए अंतरिम बजट में कृषि लोन वितरण टारगेट को 5 लाख करोड़ बढ़ाने जा रही है। लोन टारगेट बढ़ाने से किसानों तक धन की पहुंच आसान होगी और लाभार्थियों की संख्या में इजाफा होगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के नेटवर्क के माध्यम से 7.34 करोड़ किसानों ने ऋण प्राप्त किया है। सरकार इस संख्या को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सूत्रों के अनुसार सरकार आगामी अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण लक्ष्य यानी एग्रीकल्चर लोन टारगेट को 25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने की घोषणा कर सकती है।सरकार इससे यह पक्का करना चाहती है कि प्रत्येक पात्र किसान की संस्थागत लोन तक पहुंच प्रदान की जा सके। बता दे कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार का कृषि ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये है।
चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2023 तक 20 लाख करोड़ रुपये के कृषि लोन टारगेट का लगभग 82 प्रतिशत हासिल कर लिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र के बैंकों ने लगभग 16.37 लाख करोड़ रुपये का लोन वितरित किया।
ऐसा कहा जा रहा है कि कृषि लोन वितरण इस वित्तीय वर्ष में भी लक्ष्य से अधिक होने की संभावना है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल कृषि लोन वितरण 21.55 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया था, जो इसी अवधि के लिए रखे गए 18.50 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से अधिक था। इसके अलावा पिछले 10 वर्षों में विभिन्न कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए लोन वितरण लक्ष्य से अधिक रहा है।
सरकार कृषि ऋण पर अधिक ध्यान दे रही है. सरकार छूटे हुए पात्र किसानों की पहचान करने और उन्हें लोन नेटवर्क में लाने के लिए कई अभियान भी चला रही है। सूत्रों ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने एक केंद्रित दृष्टिकोण देने के लिए ‘क्रेडिट’ पर एक अलग प्रभाग भी बनाया है। अभी भी कृषि परिवारों का एक बड़ा वर्ग है जिनके पास संस्थागत लोन तक पहुंच नहीं है।
सरकार ऐसे लोगों को औपचारिक क्रेडिट नेटवर्क के तहत लाने का लक्ष्य बना रही है। इसके नतीजे में सरकार पिछले तीन महीनों में तीन अलग-अलग पहलों ‘घर-घर केसीसी अभियान’, ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ और ‘पीएम-जनमन’ अभियान के माध्यम से विशेष रूप से कमजोर लोगों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।