राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के 31,000 परिवारों को हर माह 30,000 कमाई की गारंटी देने जा रही है। आगामी बजट में सरकार एकीकृत किसान योजना के तहत हिम उन्नति पैकेज की घोषणा करने की तैयारी में है। योजना के तहत प्रदेश के हर विकास खंड में 400 परिवारों का चयन कर पंजीकरण किया जाएगा। इन्हें सरकार प्राकृतिक खेती, डेयरी, मुर्गी और मछली पालन का प्रशिक्षण देगी।
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर किसानों-बागवानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बजट में हिम उन्नति पैकेज घोषित होगा। योजना के लिए किसानों-बागवानों को पंजीकृत कर उन्हें प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देंगे। उत्पादों के लिए अलग दाम तय कर विपणन की सुविधा भी मिलेगी।
प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए अलग दाम तय कर विपणन की भी सुविधा दी जाएगी। इसके बाद भी यदि मासिक आमदनी 30,000 से कम होती है तो सरकार इसकी भरपाई करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशाें पर कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य और ग्रामीण विकास विभाग ने योजना की रूपरेखा तय कर दी है। नौकरी के लिए युवाओं का प्रदेश से बाहर पलायन रोकने और कृषि-बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए यह योजना तैयार की जा रही है।
सूबे में मछली पालन को रोजगार का जरिया बनाने के लिए मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। कहां कौन सी मछली का उत्पादन हो सकता है, इसके लिए सर्वे होगा। युवाओं को मछली पालन पर 90 फीसदी तक अनुदान दिया जाएगा। मछलियों की मार्केटिंग के लिए बाहरी राज्यों तक सुविधा दी जाएगी। फिश फार्मिंग के लिए बेरोजगारों को आर्थिक और तकनीकी मदद दी जाएगी। सरकार मछली बीज बैंक स्थापित कर फिश फार्मिंग के लिए बीज उपलब्ध करवाएगी। रंगीन सजावटी मछलियों के उत्पादन के लिए सजावटी मछली पालन को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा मिलेगा। हरेक पंचायत में प्राकृतिक खेती का एक माडल विकसित होगा। इसके लिए मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में 50 हजार एकड़ भूमि को ऐसी कृषि के अधीन लाने का प्रावधान किया गया है। चयनित की गई पंचायताें के आस-पास के किसानों को प्रशिक्षित कर इस विधि को प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी। प्रदेश में कम से कम 100 गांवों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्राकृतिक कृषि गांव के रूप में परिवर्तित करने और प्राकृतिक कृषि कर रहे सभी किसानों को पंजीकृत कर उनमें से श्रेष्ठ 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना प्रदेश के किसानों-बागवानों की आर्थिकी को संबल प्रदान कर रही है। खेती की इस तकनीक को अपनाने से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ लागत मूल्य में भी कमी आ रही है।
प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ जिला सिरमौर के किसान भी खुशहाली के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। सिरमौर जिला में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण यानी आत्मा द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा पिछले तीन वर्षाे में 411 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया, जिसके अर्न्तगत 16 हजार 133 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और 10 हजार 324 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। जिला में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत एक हजार 29 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से खेती की जा रही है।