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हरियाणा : मुर्गियों को ‘रानी खेत बीमारी’ से बचायेंगे वैज्ञानिक

मुर्गियों में रानी खेत बीमारी न्यूकैसल वायरस से होती है। जोकि मुर्गियों के लिए काफी घातक और यह संक्रामक रोग है। इस बीमारी से एक सप्ताह के अंदर तक फार्म में सभी मुर्गियां तक मर जाती हैं। मगर अब मुर्गियों को बचाने और जांच के लिए लुवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं।

मुर्गियों को रानी खेत बीमारी से बचाने और उसकी जांच के लिए लुवास के वैज्ञानिक शोध करेंगे। भारत सरकार की ओर से मिले प्रोजेक्ट को पूरा करने में तीन साल का समय लगेगा। इस पर काम शुरू हो चुका है। इस शोध को लुवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अमन कुमार और प्रधान जांच डॉ. सविता बुडानिया कर रहे हैं। खास बात रहेगी कि बिना किसी जीव को मारे बिना ही फाज डिस्पले टेक्नॉलोजी से एंटी बॉडी तैयार की जाएगी। भारत सरकार की ओर से पहली बार प्रोजेक्ट दिया गया है।

इस बीमारी से एक सप्ताह के अंदर तक फार्म में सभी मुर्गियां तक मर जाती हैं। मगर अब मुर्गियों को बचाने और जांच के लिए लुवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं, ताकि भविष्य में मुर्गियों को रानी खेत बीमारी से बचाया जा सके। लुवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अमन कुमार ने बताया कि अभी तक बीमारी की जांच करने में दिक्कत आ रही थी। ऐसे में शोध करने से जांच करने और उन्हें बचाने में आसानी होगी।

मूर्गियों में रानी खेत बीमारी के लक्षण
* अंडे कमजोर हो जाते है।
* रोग पीड़ित मुर्गियों की गर्दन टेडी हो जाती है। कुछ समय बाद ही मौत हो जाती है।
* मुर्गियां अंडे कम देना शुरू हो जाएगी।
*हाथ में लेते ही अंडा टूट जाता है
* मुर्गी का सांस फूलना और कमजोरी आना।

रानीखेत रोग पक्षियों में होने वाली बीमारी है। जो बड़े पैमाने पर भारी संख्या में मुर्गियों, पक्षियों को संक्रमित कर मुर्गी पालन के लिए खतरा बन सकती है। चूजे इस रोग से सबसे अधिक संक्रमित होते हैं। हंस, तीतर, कबूतर, कौआ, गिनी मुर्गी, गोरिया, बत्तख आदि पक्षियों पर भी इस रोग का संक्रमण होता है।

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