महाराष्ट्र के बाद अब कर्नाटक में भी अधिक गन्ना मूल्य की मांग की जा रही है। किसान संघों ने मांग की है कि इस वर्ष सूखे और कम उपज के कारण चीनी मिलें गन्ने के लिए अधिक कीमत का भुगतान करें। कर्नाटक राज्य रायथा संघ और हसीरू सेना के नेताओं ने राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंपकर मांग की कि, वह यह सुनिश्चित करे कि सभी मिलें आपूर्ति किए गए गन्ने पर प्रति टन कम से कम ₹4,000 का भुगतान करें।
एक ज्ञापन देकर ज्ञापन के माध्यम से भीमशेप्पा दुर्गन्ननवर और अन्य नेताओं ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि मिलें प्रति टन गन्ने का कम से कम ₹4,000 का भुगतान करें। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य ₹3,150 प्रति टन तय किया है, जो पिछले साल घोषित मूल्य से 3.3% अधिक है। हालाँकि, यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सूखे के कारण हुए नुकसान से उबरने के लिए किसानों को प्रति टन गन्ने पर कम से कम ₹4,000 की आवश्यकता होगी।
भीमशेप्पा दुर्गन्ननवर ने गन्ने का उत्पादन कम होने के कारण चीनी को अधिक कीमत मिलने की संभावना है, इसलिए मिलों को गन्ने के लिए अधिक कीमत का भुगतान करना चाहिए। कुछ अन्य नेताओं का तर्क है कि, चीनी मिलों को किसानों के साथ शेयरधारक मानना चाहिए और अपना मुनाफा उनके साथ साझा करना चाहिए।
कृषक समाज के नेता सिदगौड़ा मोदगी ने कहा, सभी मिलें अब कच्चे माल के रूप में थोक में गन्ना खरीद रहे है। खरीद के बाद, किसानों और मिलों के बीच संबंध समाप्त हो जाता है। मिलें अधिक मुनाफा कमाएं तो भी किसानों को अधिक पैसा नहीं मिलता। हम चाहते हैं कि, यह व्यवस्था बदले और किसानों को कारखानों द्वारा निर्मित सभी उत्पादों में मुनाफे का एक हिस्सा मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, हम मांग करते हैं कि सरकार अपनी नीति में बदलाव कर यह सुनिश्चित करे कि किसानों को मुनाफे के लिए गन्ना मिलों में शेयरधारक बनाया जाए। उन्होंने कहा, किसान पहले से ही सहकारी मिलों के शेयरधारक सदस्य हैं। लेकिन प्राइवेट कंपनियों में ऐसा नहीं होता। हमें यह देखने के लिए कानून में बदलाव करने की जरूरत है कि किसानों को निजी मिलों में भी शेयरधारकों के रूप में माना जाए।