tag manger - हरियाणा : भू-जल स्तर काे नापने के लिए गांवों में लगाये जाएंगे पीजाे मीटर – KhalihanNews
Breaking News

हरियाणा : भू-जल स्तर काे नापने के लिए गांवों में लगाये जाएंगे पीजाे मीटर

केंद्र सरकार की तरफ से पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन करने के लिए शुरू की गई अटल भूजल योजना के तहत जिले के प्रत्येक गांव में पीजाे मीटर स्थापित किए जाएंगे। ताकि भूमिगत जलस्तर काे मापकर पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए याेजनाएं बनाए जा सके।

पीजाे मीटर से पांच साल तक भूमिगत जलस्तर काे मापा जाएगा और फिर इसके बाद प्रभावित क्षेत्राें में भूमिजल स्तर काे बढ़ाने समेत विभिन्न याेजनाओं काे क्रियांवित किया जाएगा। केंद्र सरकार की अटल भूजल याेजना हरियाणा के 13 जिलाें में लागू की गई है। जिसमें भिवानी जिला भी शामिल है। स्थायी भूजल प्रबंधन पर लक्षित इस याेजना के माध्यम से प्रभावित क्षेत्राें में पानी के संकट की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

पेयजल डाॅटा सरकार काे हो सकेगा उपलब्ध
इसी कड़ी में जिले के लगभग प्रत्येक गांव में पीजाे मीटर स्थापित किए जाएंगे ताकि जिले में भूमिगत जलस्तर की वास्तविक जानकारी व डाॅटा सरकार व प्रशासन काे उपलब्ध हाे सके। इस योजना का कार्यान्वयन एजेंसी, तकनीकी सहायता एजेंसी, नोडल एजेंसियां ​​जैसे जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सिंचाई विभाग, पंचायती राज विभाग आदि के द्वारा किया जाएगा। याेजना का मुख्य उद्देश्य उन सभी जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना है, जिन क्षेत्राें में पानी का संकट पैदा हाेता है|

लाेहारू क्षेत्र के किसानों के अनुसार — चार साल पहले लाेहारू क्षेत्र में लगभग 250 फुट गहराई पर भूमि जलस्तर था और सिंचाई के लिए ट्यूबवेल 400 फुट गहराई तक लगते थे। चार साल बाद अब भूमि जलस्तर 50 फुट और गहरा चला गया है और जमीन के लगभग 300 फुट नीचे पानी मिलता है|

सिंचाई के लिए ट्यूबवेल 450 फुट गहराई में लगता है। चार साल के दाैरान क्षेत्र में भूमि जलस्तर 50 फुट और गहराई तक चला गया है।

ये हाेगा पीजाे मीटर से लाभ
पीजाे मीटर से क्षेत्र में भूजल स्तर का माप किया जाएगा। साल में कम से कम दो बार भूजल का माप लिया जाएगा। इसी के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी और इसी रिपोर्ट की समीक्षा कर जरूरी होने पर डार्क जोन और रेड जोन घोषित किए जाने की प्रक्रिया होगी।

यह पीजो मीटर हैंडपंप की तरह होंगे। इन मीटर की सहायता से मानसून से पहले व मानसून के बाद भूजल स्तर का मापन किया जाएगा।

भूजल विभाग इन आंकड़ों के आधार पर क्षेत्र में सर्वे कर भविष्य के लिए याेजनाएं तैयारी की जाएगी। भूजल विभाग पहले कुओं से वाटर लेवल लेता था। लेकिन अब कुएं सूख गए और लगभग खत्म हाे चुके हैं। इसलिए गांव स्तर पर पीजाे मीटर लगाए जाएंगे। पीजाे मीटर एक उपकरण है जिसका उपयोग एक प्रणाली में स्थिर तरल दबाव को मापने के लिए किया जाता है।

कई जिलों में नहरी पानी की बहुत कमी है। लगभग 70 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में ट्यूबवेलाें से सिंचाई हाेती है जबकि केवल 30 प्रतिशत कृषि भूमि में नहरी पानी से सिंचाई की जा रही है। भले ही प्रशासन के पास भूमि जल स्तर मापने का काेई ठाेस पैमाना अभी तक नहीं है लेकिन जिस तरह से 70 प्रतिशत भूमि में फसलाें काे ट्यूबवेल से सिंचित किया जा रहा है। विशेषकर राजस्थान से लगते जिले के लाेहारू, बहल आदि रेगिस्तानी इलाकाें में फिलहाल भू-जल स्तर लगभग 300 फुट गहराई में है। जबकि सिंचाई याेग्य पर्याप्त पानी के लिए ट्यूबवेल 450 फुट की गहराई में लग रहा है।

About admin

Check Also

हरियाणा के गुरुग्राम में देशभर की ग्रामीण महिला हस्तशिल्पियों का सरस आजीविका मेला

हरियाणा के गुरुग्राम में देशभर की ग्रामीण महिला हस्तशिल्पियों का सरस आजीविका मेला

ग्रामीण महिलाओं के हुनर और स्वावलंबन को प्रोत्साहित करने के लिए गुरुग्राम में 13 अक्टूबर …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *