भारतीय गेहूं एवं जाै अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ऐसी मशीन विकसित की है, जो फसल अवशेष के साथ ही बिजाई को संभव करेगी। इस मशीन की खासियत यह है कि इसके डिस्क ब्लेड खेत में करीब दो से तीन इंच चौड़ी स्लिट (दरार) ही बनाते हैं, जिससे फसल अवशेषों को हटाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।
करनाल के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद इस मशीन से किसानाें को बिजाई से पहले फसल अवशेषाें को काटने के झंझट से निजात मिलेगी। इन्हें जलाने से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी नहीं रहेगा। भारतीय गेहूं एवं जाै अनुसंधान संस्थान करनाल में इजाद की गई तकनीक से यह संभव हो सकेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों ने ऐसी मशीन विकसित की है, जो फसल अवशेष के साथ ही बिजाई को संभव करेगी। इस मशीन का नाम है रोटरी डिस्क ड्रिल, जिसकी बदौलत किसान अपने खेतों में फसल अवशेष छोड़ सकते हैं और बिजाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
अब तक कई खेती में किसानों को बिजाई से पहले खेत से फसल अवशेष हटाना पड़ता था। खेत की जुताई के दौरान फसल अवशेष बाधा बनते हैं। इसके साथ ही बीज का अंकुरण नहीं हो पाता है। किसानों की मजबूरी है कि फसल अवशेषों को पूरी तरह से हटाया जाए, इसी कारण कुछ किसान फसल अवशेषों में आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है। अब नई तकनीक, रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन से यह दिक्कत नहीं होगी।
रोटरी डिस्क ड्रिल का वजन हैप्पी सीटर या रोटावेटर से काफी कम है। हल्की मशीन होने की वजह से इसे कम हाॅर्स पावर के ट्रैक्टर में लगाया जा सकता है। इसके लिए 30 से 35 हाॅर्स पावर का ही ट्रैक्टर चाहिए जबकि हैप्पी सीटर या रोटावेटर में 60 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है। अब, फसल अवशेष रहने के बाद भी बूवाई करने से किसानों को खरर-पतवार की समस्या का सामना भी नहीं करना होगा।