भारत से अफ्रीका,यूरोप, अमेरिका सहित एशिया के भी कई देशों में चावल का निर्यात किया जाता है। इनमे बांसमती व गैर-बासमती, दो तरह का चावल से भेजा जाता है। बाहरी देश भारतीय चावल आयात करते हुए कुछ शर्तें भी रखते हैं।
इधर बाढ़ और धान की फसल पर मौसम के खराब असर को देखते हुए भारतीय सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसका असर उन छोटे देशों पर पड़ेगा जो मोटे चावल के लिए भारत की तरफ देखते हैं। कुछ महीनों से देश में खाद्य पदार्थों की बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने का जरुरी फैसला किया है। भारत में ज्यादातर लोगों का भोजन चावल ही है। खास बात यह है कि आम भारतीय, गैर बासमती चावल का ही सबसे ज्यादा सेवन करते हैं। यदि गैर बासमती चावल का निर्यात जारी रहता तो, इसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती थी। ऐसे में आम जनता का पेट भरना मुश्किल हो जाता। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने कुछ दिनों के लिए गैर बासमती चावल पर रोक लगाने का फैसला किया है।
भारत से सबसे ज्यादा गैर बासमती चावल का भारत से निर्यात नेपाल, कैमरून, फिलीपींस और चीन सहित कई देशों में होता है। यदि यह रोक लंबे समय तक रहती है, तो इन देशों में चावल की किल्लत हो सकती है। खास कर नेपाल सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। नेपाल भारत का पड़ोसी देश है और बिहार और उत्तर प्रदेश से इसकी सीमाएं लगती हैं। दूरी कम होने के चलते नेपाल को ढुलाई पर कम खर्च करना पड़ता है। वह दूसरे देश से चावल खरीदेगा, तो निर्यात पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इससे नेपाल पहुंचते- पहुंचते चावल की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे महंगाई भी बढ़ सकती है।
भारत सरकार के इस कदम से खुदरा बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। वहीं, दूसरे देशों में कीमतें बढ़ जाएंगी। एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया की लगभग आधी आबादी का भोजन चावल ही है। किसी न किसी रूप में चावल खाकर ही अपना पेट भरते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए चिंता की बात है। बता दें कि पिछले साल भारत ने टूटे हुए चावल के आयात पर रोक लगा दी थी।