बुंदेलखंड के सभी जिलों में पानी, ताप और मिट्टी की परिस्थितियों को देखते हुए अलग अलग फलों का हब बनाने की योजना है | योजना को लागू करने की शुरुआत झांसी जिले से की गई है | बुंदेलखंड की जलवायु सिट्रस वर्गीय खट्टे फलों की खेती के लिए मुफीद मानी गई है | इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए इस इलाके में केला, खजूर और पपीता सहित अन्य फलों की खेती काे भी प्रोत्साहित किया जा रहा है |
इस परियोजना के पहले चरण में झांसी जिले के सभी ब्लॉक में एक एक गांव को बागवानी ग्राम बनाया जाएगा | झांसी जिले में 8 ब्लॉक हैं | इनके एक एक गांव का बागवानी ग्राम के रूप में चयन कर लिया गया है | इन गांवों को बागवानी खेती के मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जाएगा | बुंदेलखंड के किसानों की समृद्धि का रास्ता तय करने वाली इस योजना के तहत इस इलाके के दोनों मंडलों के सभी जिलों को शामिल किया गया है |
मंडल के जिन 44 गांवों को बागवानी ग्राम के लिए चुना गया है, उनमें सिर्फ फल, फूल और सब्जियों की खेती ही नहीं होगी | चुने गये इन गांवों में इन गांवाे में उपज को बाजार तक पहुंचाने के बजाए, बाजार खुद उपज की खरीद के लिए गांव में आएगा | इसके लिए इन गांवों में पॉली हाऊस लगाने से लेकर पैक हाउस एवं प्रसंस्करण यूनिट लगाने के अलावा इन्हें मार्केटिंग की अन्य सुविधाएं से भी होंगी |
महोबा जिले में उद्यान विभाग के सहयोग से उच्च क्षमता वाली एक हाईटैक नर्सरी पिछले साल ही स्थापित हो गई थी | इस नर्सरी में पॉली हाऊस लगाकर गोभी, बंद गोभी, मटर, टमाटर, शमिला मिर्च, पपीता, खीरा, ककड़ी, खरबूज और तरबूज की उन्नत पौध तैयार कर ली गई है | इसे पहले चरण में बागवानी के 8 मॉडल गांवों के किसानों को उनकी अगेती फसल के लिए वितरित किया जाएगा |