अमृत सरोवर योजना पूरे देश में चलाई जा रही है, जिसमें बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए छोटी और बड़ी झीलों का निर्माण किया जा रहा है| यह योजना पर्वतीय इलाकों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो यहां पर्यटन को बढ़ाने के साथ-साथ सिंचाई, प्राकृतिक जल स्रोतों को रिचार्ज करने और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय बढ़ाने का काम करेगी| इस योजना में उत्तराखंड राज्य में कुल 1017 सरोवरों का निर्माण हो रहा है, जिसमें पिथौरागढ़ जिले में 73 अलग-अलग ग्रामीण इलाकों में झीलें बनाई जा रही हैं|
पिथौरागढ़ जिले के मढ़मानले, लेलू, पौड़, कटियानी, सल्ला, मझेड़ा, गुरना, बड़तयाकोट महर, चामी भैंसकोट, नैनीपातल समेत 73 जगहों पर झील का निर्माण किया जा रहा है| जबकि बड़कोट, थरालू सहित 12 जगहों पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है|
पहाड़ों में जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे यहां के प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखते जा रहे हैं, जो एक गंभीर समस्या है क्योंकि अभी भी कई ग्रामीण इलाके पानी के इन्हीं प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हैं| झीलों के निर्माण से ये प्राकृतिक स्रोत रिचार्ज हो सकेंगे|
पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी ने कही ये बात पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी अनुराधा पाल ने बताया कि जिले में पहले से ही जल संवर्धन को लेकर कार्य किए जा रहे हैं, जिसके तहत 12 जलाशयों का निर्माण हो चुका है| साथ ही 45 जलाशयों का कार्य 15 अगस्त तक पूरा हो जाएगा, जिससे पिथौरागढ़ के पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही यहां कृषि और रोजगार के अवसर भी बढ़ पाएंगे|
गौरतलब है कि पहाड़ों में किसान मुख्य तौर पर सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर रहते हैं| समय से बारिश न होना फसलों की बर्बादी का एक बड़ा कारण भी बनता है| ग्रामीण इलाकों में बारिश के पानी को एकत्र कर बन रहे ये जलाशय निश्चित ही सिंचाई में मददगार साबित होंगे, जिससे यहां के किसानों को काफी लाभ मिल सकेगा|
पिथौरागढ़ जिले के मढ़मानले, लेलू, पौड़, कटियानी, सल्ला, मझेड़ा, गुरना, बड़तयाकोट महर, चामी भैंसकोट, नैनीपातल समेत 73 जगहों पर झील का निर्माण किया जा रहा है. जबकि बड़कोट, थरालू सहित 12 जगहों पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है|