चारे पर ही डेयरी मालिकों और उनके मवेशियों का गुजारा चलता है लेकिन बारिश ने सूखे चारे को भी बर्बाद कर दिया है | यहां तक कि भूसा भी नहीं बचा जिसे किसान अपने मवेशियों को खिला सकें |
सूखे चारे का भाव 550 रुपये से 800 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है | पिछले साल इसी चारे का भाव 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक था | इस तरह एक क्विंटल पर चारे का दाम 250 रुपये तक बढ़ा हुआ देखा जा रहा है | इससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है क्योंकि एक तरफ बारिश से उनकी उपज खराब हो गई है, तो दूसरी ओर मवेशियों के लिए महंगे रेट पर चारा खरीदने की नौबत आ गई है | इससे पशुपालकों का खर्च बढ़ गया है जबकि दूध के रेट पहले वाले ही मिल रहे हैं |
किसानों का कहना है कि पिछले साल एक एकड़ में 18 क्विंटल तक भूसा निकला था, लेकिन इस बार यह मात्रा घटकर 12 क्विंटल तक पहुंच गई है |गेहूं के एक एकड़ खेत में कटाई करें तो लगभग 20 क्विंटल तक भूसा निकलता है | बारिश की वजह से यह उत्पादन गिरकर 12-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच गया है | ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बारिश की वजह से गेहूं के पौधे खेतों में गिर गए और उसमें पानी भर गया |
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में चारे की और भी कमी होगी क्योंकि मौसम का मिजाज इतनी जल्दी सुधरने वाला नहीं है | इससे चारे के दाम में और भी बढ़ोतरी देखी जाएगी | अभी मांग भी तेजी से बढ़ रही है जिससे दाम में मजबूती आने की संभावना बन रही है |