भरपूर बरसात और सिंचाई के उपलब्ध साधनों के बावजूद उत्तर प्रदेश में किसान धान की अधिक उपज लेने में पिछड़े हैं। ऐसा बीते करीब दस साल से है। धान की कम उपज को लेकर प्रदेश सरकार ने एक अध्ययन में यह जानकारी हासिल की है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 10 सालों के दौरान यूपी के जिन जिलों में धान की उपज सबसे कम हुई, वे जिले भरपूर बारिश वाले जिलों में शुमार हैं। वहीं, धान की सर्वाधिक उपज वाले यूपी के 3 जिलों में पिछले सालों में धान की सबसे कम उपज वाले जिलों की तुलना में बारिश काफी कम दर्ज की गई।
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जिन इलाकों में बारिश अच्छी होती है, उनमें धान की उपज भी अच्छी होती है। उत्तर प्रदेश सरकार की इस रिपोर्ट के मुताबिक पर्याप्त बारिश के बावजूद किसानों द्वारा धान की खेती के गलत तरीके अपनाने के कारण उपज कम हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, धान के सालाना औसत उत्पादन के मामले में पीलीभीत जिला 4.60 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है। जबकि 4 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ चंदौली दूसरे और 2.88 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ देवरिया तीसरे स्थान पर है। वहीं उपज के मामले में अव्वल जिला रहा औरैया, कुल उत्पादन के मामले में 1.67 लाख मीट्रिक टन के साथ सबसे पीछे है।
सर्वाधिक उपज वाले औरैया जिले में साल 2018-19 में हुई 602 मिमी बारिश 2022-23 में घट कर 371 मिमी रह गई, जबकि इन सालों में औरैया जिले में धान की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ी है। इसी प्रकार पीलीभीत जिले में बारिश 5 साल में 1430 मिमी से घटकर 704 मिमी और चंदौली जिले में 359 मिमी से घटकर बारिश मात्र 286 मिमी रह गई। इन दोनों जिलों में भी धान की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ी है।
इससे इतर, सबसे कम उपज वाले देवरिया जिले में 2018 में हुई 471 मिमी बारिश पिछले साल बढ़कर 875 मिमी हो गई, लेकिन जिले में धान की उपज कम होती गई। वहीं, बारिश के मामले में श्रावस्ती जिला सबसे आगे रहा और इस जिले में बीते 5 साल में बारिश 1020 मिमी से बढ़कर 1234 मिमी हो गई लेकिन इस जिले में भी धान की उपज साल दर साल घटी है। वहीं उन्नाव जिले में बारिश 731 मिमी से घट कर पिछले साल 476 रह गई।
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