नूह की गिनती हरियाण के आर्थिक रूप से पिछड़े इलाको में की जाती है | जिले में पशुओं की संख्या पर्याप्त होने के बावजूद दूध उत्पादन काफी कम है। प्रति व्यक्ति आय भी प्रदेश के अन्य जनपदों से कम है। यह जिला प्रदेश व देश में आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों की सूची में है। प्रधानमंत्री ने भी इस जिले में आर्थिक व सामाजिक उन्नति के लिए योजनाएं चलाने का निर्देश दे रखा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीआईआरबी ने दो वर्षीय परियोजना शुरू की है।
इस परियोजना के तहत पशुपालकों को जर्म प्लाज्मा से तैयार मुर्राह नस्ल के उन्नत झोटे का सीमन निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। बीते सितंबर तक 1736 भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जा चुका था। अगले एक साल में अधिकाधिक भैंसों का गर्भाधान कराने का लक्ष्य है।
सीआईआरबी निदेशक के अनुसार दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। नूंह जिले के पशुपालकों को मुर्राह का सीमन निशुल्क देने के साथ-साथ पशुपालन के तरीके भी बताए जा रहे हैं।
मुर्राह नस्ल की अत्यधिक दूध देने वाली भैंस के झोटे से जर्म प्लाज्मा तकनीक के जरिए नए झोटे तैयार किए जाते हैं। इन झोटों के परिपक्व होने पर इनका सीमन एकत्रित कर उससे भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। इस प्रकार से तैयार अगली पीढ़ी भी अत्यधिक दुधारू होती है।
सीआईआरबी में इसके सफल प्रयोग के बाद अब नूंह जिले में पशुपालकों को निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे कि अगले कुछ वर्षों में अत्यधिक दूध देने वाली भैंस तैयार होंगी। दूध उत्पादन बढ़ने से पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी।