गेहूं का सही तरीके से उत्पादन हो इसके लिए जरूरी है उसके बढ़ने में कोई रोड़ा न बने इसलिए जरूरी है कि खेत से सभी तरह के खरपतवार हटा दिए जाएं| गेहूं के अलावा खेत मे लगा हर पौधा उसके लिए खरपतवार ही है, फिर चाहे वो चना या कोई अन्य खाद्यान फसल ही क्यों न हो| इसलिए खेत से इन्हें साफ कर देना चाहिए| इसका सही समय पर, सही तरीके से, प्रबंधन जरूरी है|
अब फसल में निगरानी प्रबंधन और सुरक्षा कार्य करने का समय है,ताकि फसल को नुकसान से बचाकर अच्छा उत्पादन लिया जा सके| ज्यादातर इलाकों में अभी गेहूं की फसल शुरुआती अवस्था में है| गेहूं के पौधे अभी काफी छोटे है| इसी समय फसल को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय फसल में खरपतवार पनपते रहते हैं और कीट-रोग का प्रकोप भी बढ़ जाता है| इसी के साथ गेहूं के फसल के पौधे पीले पड़ने लगते हैं| कई बार पौधे सूख कर मुरझा भी जाते हैं| यह परेशानी सिंचाई और पोषण की कमी के कारण हो सकती है|
गेहूं की फसल के साथ-साथ कुछ अनियमित पौधे भी खेत में उग जाते हैं, जो फसल के विकास में बाधा बनते हैं| यह पौधे ही कीड़े-मकोड़े और बीमारियों को आकर्षित करते हैं, जिससे फसल में नुकसान का खतरा बना रहता है. इन्हीं पौधों को खरपतवार कहते हैं| समय रहते इन खरपतवारों को खेत से उखाड़ कर बाहर फेंकना होता है| नहीं तो यह गेहूं की फसल से सारा पोषण सोख कर उत्पादकता को कम कर सकते हैं|
कृषि विशेषज्ञों की सलाह मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर 110 किलोग्राम यूरिया, 55 किलोग्राम डीएपी और 20 किलोग्राम पोटाश का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए| इस बीच फसल में नाइट्रोजन की आधी मात्रा का इस्तेमाल करें और आधी सिंचाई के बाद इस्तेमाल करने पर फसल को सही पोषण मिलने में आसानी रहती है|