उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड की 14 चीनी मिलों की चरणबद्ध तरीके से उच्चीकरण की कार्ययोजना तैयार की है| इसमें कुल करीब 480 करोड़ रुपये की लागत आएगी| पहले चरण 2022-2023 में अलीगढ़ की साथा, सुल्तानपुर और महराजगंज- नोतनवा का आधुनिकीकरण होना है| इन तीनों मिलों के आधुनिकीकरण में करीब 95 करोड़ की लागत का पूर्वानुमान है|
दूसरे चरण (2023-2024) में कासगंज की बिलासपुर, बरेली की सीमाखेड़ा और पीलीभीत की पूरनपुर चीनी मिल के आधुनिकीकरण में सरकार 105 करोड़ रुपए खर्च करेगी| तीसरे चरण 2024-2025 में मऊ की घोषी, सीतापुर की महमूदाबाद, पीलीभीत की बीसलपुर और बदायूं की चीनी मिलों का आधुनिकीकरण होना है|
इसी तरह पांच साल की कार्ययोजना के अंतिम चरण में फर्रुखाबाद की कायमगंज, मुजफ्फरनगर की मोरना, शाहजहांपुर की तिलहर और बागपत की चीनी मिलों का अपग्रेडेशन होना है| बाद की दो चरणों में जिन 8 चीनी मिलों का आधुनिकीकरण होना है उसमें सरकार 140-140 करोड़ रुपए खर्च करेगी|
मिलों के आधुनिकीकरण के अलावा सरकार ने पांच साल में प्रति हेक्टेयर गन्ने की उत्पादकता 81.5 टन से बढ़ाकर 84 टन करने का लक्ष्य रखा है| इसी अवधि में चीनी का पड़ता 11.46 फीसद से बढ़कर 11.56 फीसद करने का भी लक्ष्य रखा है| गन्ना एवं इसके सह उत्पादों के जरिए शुगर टूरिज़्म को बढ़ावा, गणना किसान संस्थान में शुगर म्यूजियम, संघ एवं निगम की मिलों द्वारा उत्पादित चीनी मिलों के लिए विक्रय केंद्रों की स्थापना और हर साल गुड़ महोत्सव का आयोजन अन्य कार्यक्रम हैं|
इसी तरह चरणबद्ध तरीके से उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की तीन मिलों गोरखपुर की पिपराइच,मेरठ की मोहिउद्दीनपुर में डिस्टलरी और बाराबंकी की बुढ़वल चीनी मिल में कोजन प्लांट, सल्फरलेस प्लांट और डिस्टलरी की स्थापना होनी है| इन तीनों में प्रदेश सरकार और केंद्र का अंशदान क्रमशः 30 प्रतिशत अंशदान और 70 प्रतिशत ऋृण होगा| छाता मथुरा में 550 करोड़ रुपये की लागत से मल्टीफ़ीड डिस्टलरी शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना भी होगी|