देश में इन दिनों रंगीन शिमला मिर्च की मांग में बढ़ गई है। खाने के शौकिनों ने इसकी मांग में इजाफा किया है। वहीं कोरोना में लोग अपनी सेहत के प्रति काफी जागरूक हो गए है। शिमला मिर्च को सेहत के लिए फायदेमंद मानते हुए भी इसकी बाजार में मांग बढ़ रही है। इसे देखते हुए इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। वहीं रंगीन शिमला मिर्च मांग ज्यादा होने से इसके बाजार में हरी शिमला मिर्च के मुकाबले कई गुना अधिक दाम मिलते हैं। इसकी व्यवसायिक खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
शिमला मिर्च की कई रंगों की किस्मों में पीली रंग की शिमला मिर्च की मांग बाजार में सबसे अधिक है। इसकी मुख्य वजह इसका आकर्षक रंग तो है ही जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये विटामिन की दृष्टि से भी उपयोगी है।
जो लोग अपने स्वस्थ केे प्रति सचेत हैं वे इसे शिमला मिर्च का इस्तेमाल सलाद के रूप में करते हैं क्योंकि इसे पकाकर खाने से अधिक इसे सलाद के रूप में उपयोग करना अधिक फायदेमंद है। पीली शिमला मिर्च में विटामिन ए, बीटा-कैरोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। पीली शिमला मिर्च को आप अगर रोजाना अपने भोजन में शामिल करेंगे तो आपको इसके बहुत से फायदें होंगे।
अनुमान के तौर पर यदि आप आपके पास एक एकड़ भूमि है तो आप इसकी खेती करके एक साल में करीब 3 से 3.50 लाख तक की इनकम प्राप्त कर सकते हैं। यदि इसकी खेती पॉली हाउस में करेंगे तो 5 से 6 लाख तक की आमदनी हो सकती है। पाली हाउस में किसान छह रंगों जैसे लाल, पीली, ओरेंज, चॉकलेट, वायलेट और ग्रीन शिमला मिर्च पैदा कर सकता है। जिनसे अच्छा उत्पादन और लाभ किसान को मिलता है। बाजार में इसके अच्छे दाम मिलते हैं।
रंगीन शिमला मिर्चों की बाजार में कीमत 100 से 250 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है। जबकि हरी शिमला मिर्च का दाम 40 रुपए प्रति किलो से ज्यादा होते हैं। अगर पोली हाउस में किसान 600 क्विंटल भी पैदावार लेता है तो किसान की आमदनी करीब छह लाख तक हो सकती है।
भारत में शिमला मिर्च की खेती हरियाणा, पंजाब, झारखंड, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेशों में सफलतापूर्वक की जाती है। इसके अलावा अब तो पूरे भारत में इसकी खेती की जाने लगी है। इसकी सबसे ज्यादा मांग दिल्ली और चंडीगढ़ के होटलों में होती है यहां इनका प्रयोग सलाद के रूप में किया जाता है।