भारत सरकार ने चीन के साथ मालदीव की नज़दीकियों और चीन के इस इलाके में सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश के मद्देनजर सहयोग का हाथ बढ़ाया है। भारत ने मालदीव से व्यापारिक समझौता किया है। भारत ने मालदीव को खाद्य पदार्थों के निर्यात की अनुमति दे दी। अब मालदीव को अंडा, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा- मैदा, चीनी और दालों का निर्यात किया जाएगा। इसके अलावा भवन निर्माण सामग्री के लिए स्टोन एग्रीगेट और नदी की रेत का भी निर्यात होगा।
खास बात यह है कि खाद्य पदार्थों के साथ भवन निर्माण सामग्री के निर्यात के लिए सीमा भी निर्धारित की गई है। कहा जा रहा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सिर्फ निर्यात की अनुमति दी गई है।
भारत सरकार ने मालदीव को 42,75,36,904 अंडे निर्यात करने की अनुमति दी है। वहीं, सरकार ने आलू निर्यात के लिए 21,513.08 टन मानक तय कर दिया है. यानी इससे अधिक मालदीव का आलू निर्यात नहीं किया जाएगा। इसी तरह प्याज निर्यात के लिए 35,749.13 टन, चावल निर्यात के लिए 1,24,218.36 टन, गेहूं के आटे का निर्यात के लिए 109,162.96 टन, चीनी निर्यात के लिए 64,494.33 टन और दाल निर्यात के लिए 224.48 टन सीमा तय की गई है।
इस बीच, चीनी प्रभाव के कारण, मालदीव ने भारत से इस महीने के भीतर अपने दूसरे विमानन मंच पर तैनात अपने सैन्य सैनिकों को वापस लेने के लिए कहा है। कुल मिलाकर पूर्ण वापसी की समय सीमा 15 मई तय की गई है। सैन्य कर्मियों का पहला बैच पहले ही वापस आ चुका है। मालदीव के रणनीतिक समुद्री महत्व को देखते हुए भारत बातचीत की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में भारत ने चावल, गेहूं का आटा, प्याज, दालें और चीनी को किसी भी देश में परमिट के माध्यम से निर्यात करने पर या तो प्रतिबंध लगा दिया है या अनुमति दे दी है।
सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 10 लाख टन स्टोन एग्रीगेट और रेत निर्यात करने की अनुमति दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि मालदीव गणराज्य को सूचीबद्ध वस्तुओं के निर्यात को 2024-25 के दौरान किसी भी मौजूदा या भविष्य के प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी। रिवर सैंड और स्टोन एग्रीगेट के निर्यात के लिए, CAPEXIL यह सुनिश्चित करेगा कि आपूर्तिकर्ताओं और निकालने वालों ने उचित मंजूरी प्राप्त कर ली है।