खारी पानी राजस्थान, हरियाणा, गुजरात में बड़ी समस्या है। अब खंभाती कुआं इस समस्या को लेकर हल कर रहा है। गुजरात में इस तरह से बनाये गये कुएं लोकप्रिय हो रहे हैं। पेयजल के संकट का सामना कर रहे इलाकों के लिए ऐसे कुएं वरदान साबित हो रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर के मूल निवासी और सालों से अहमदाबाद में रहने वाले पर्यावरणविद लोकेन्द्र बालासरिया ने बताया कि खंभाती कुआं क्षेत्र के जल जमाव की समस्या खत्म करने के साथ पानी के टीडीएस को घटाने में काफी मददगार है। साढ़े तीन लाख रुपए की लागत में एक कुआं बनता है। यह कुआं करीब 10 से 15 साल तक प्रभावी तरीके से काम करता है। यह हर घंटे 75 से 80 हजार लीटर पानी को जमीन में उतारता है। अहमदाबाद शहर में बीते तीन साल में 100 खंभाती कुए बनाए हैं। इसके बेहतर परिणाम मिले हैं।
बताया गया कि खंभाती कुएं की विशेषता यह है कि इसकी डिजाइन मधुमक्खी (हनीबी) के छत्ते की तरह होती है। यह जमीन में पानी के नीचे उतरने के चलते टीडीएस भी कम करता है। डीजीपी पटेल ने बताया कि लोकेन्द्र बालासरिया के सहयोग व सुझाव से इसे बनवाया गया है, जिसे कारीगर हकीम भाई की ओर से तैयार किया है। यह 30 फीट गहरा और 15 फीट चौड़ा है। इसके ऊपर आरसीसी का स्लैब का काम करना बाकी है।
गुजरात पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक (डीजीपी) हसमुख पटेल ने उन्होंने बताया कि पुलिस निगम की ओर से पहली बार ऐसा किसी प्रोजेक्ट में खंभाती कुआं बनाया गया है। अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस मुख्यालय में जल संरक्षण के उद्देश्य से खंभाती कुआं बनाया गया है। साल में 60 परिवारों की जरूरत का पानी इसके जरिए जमीन में उतारा जा सकता है। अभी जो रिचार्ज वेल बनाए जा रहे हैं वह उतने प्रभावी नहीं हैं, जितना कि यह कुआं काफी प्रभावी है।बताया गया कि अभी जो रिचार्ज वेल बनाए जा रहे हैं वह उतने प्रभावी नहीं हैं, जितना कि यह कुआं काफी प्रभावी है। रिचार्ज वेल में पानी को जमीन में उतारने की जगह कम होती है और उसमें कुएं की तुलना में बहुत कम मात्रा में पानी जमीन में उतर पाता है। कुएं का आकार बड़ा होने के चलते इससे ज्यादा प्रमाण में पानी जमीन में उतरता है। यह पानी को संग्रह भी करता है। बारिश के समय आसानी से पानी जमीन में उतरा है, जिसके चलते इलाके में पानी भी नहीं भरेगा।