लुधियाना से भाजपा नेता रवनीत सिंह बिट्टू को मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री का पद मिला है। लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद रवनीत सिंह बिट्टू पर भाजपा आलाकमान ने भरोसा जताया है, इससे साफ है कि भाजपा के लिए पंजाब काफी महत्वपूर्ण है। बिट्टू पंजाब से ऐसे एकमात्र नेता हैं, जिनको मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए और लुधियाना से चुनाव लड़े, लेकिन वे कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से बीस हजार से अधिक वोट से हार गए।
पंजाब में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली और सभी 13 सीट पर भाजपा उम्मीदवार हार गए, तब लगा कि इस बार केंद्र में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, लेकिन भाजपा आलाकमान ने बिट्टू को मंत्री बना कर सीमावर्ती राज्य पंजाब का पूरा ध्यान रखा है। साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव को नजर में रखते हुए भाजपा ने जट सिख चेहरे पर दांव खेला है। वह पंजाब में खालिस्तानी विचारधारा के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं। रवनीत सिंह बिट्टू का कहना है कि मोदी सरकार ने कैबिनेट में जगह देकर पूरे पंजाब को मान बख्शा है। पंजाब को तरक्की की राह पर ले जाने की जिम्मेदारी संभालने को वे पूरी तरह तैयार हैं। पीएम मोदी एवं अमित शाह ने सूबे के विकास का पूरा रोड मैप तैयार कर रखा है। अब उस पर काम करके सूबे को आगे ले जाना है। यहां के किसान, मजदूर, गरीब, उद्योग, व्यापार जगत की समस्याओं को केंद्र से हल कराने में वे पुल का काम करेंगे। बिट्टू ने कहा कि उनका लक्ष्य वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव हैं। पंजाब की आर्थिक राजधानी कई मायनों में खास है। एक तरफ यहां के साइकिल, होजरी, टेक्सटाइल उद्योग का गढ़ है, वहीं यह राजनीतिक तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है। अब लुधियाना के पास दो सांसद एवं एक केंद्रीय मंत्री है। लुधियाना में आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग लुधियाना संसदीय सीट से सांसद हैं। अब भाजपा नेता रवनीत सिंह बिट्टू केंद्र सरकार में मंत्री बन गए हैं। बिट्टू को संसद तक पहुंचने के लिए राज्यसभा का सदस्य बनना होगा। पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 117 में से 92 विधायक जीत कर आए थे। पंजाब में भाजपा के पास राज्यसभा की कोई सीट नहीं है। ऐसे में बिट्टू को अगले छह माह में किसी अन्य राज्य की सीट से राज्यसभा पहुंचना होगा। इसके लिए भाजपा आलाकमान ने पहले ही रणनीति बना रखी है।
पंजाब से अरुण जेटली चुनाव हार गए थे लेकिन उनको 2014 में केंद्र में मंत्री बनाया गया। अंबिका सोनी चुनाव हार गई थीं लेकिन उनको राज्यसभा में भेजकर मंत्री बनाया गया। वहीं हरदीप पुरी चुनाव हार गए थे, उनको मंत्री बनाया गया। अब बिट्टू भी चुनाव हार गए हैं और उनको छह माह के भीतर राज्यसभा भेजकर सदस्य बनाया जाएगा ताकि मंत्री पद बरकरार रह सके। कांग्रेस नेता व चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी लुधियाना संसदीय सीट पर वर्ष 2009 से लेकर 2014 तक सांसद रहे और पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2012 से लेकर 2014 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे। बिट्टू से पहले उनको ही केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिली है।
लोकसभा चुनाव के दौरान लुधियाना में प्रचार करने आए गृह मंत्री अमित शाह ने मंच से एलान किया था कि लुधियाना वालो आप रवनीत बिट्टू को जिताकर भेजो, उसे बड़ा आदमी मैं बनाऊंगा। हालांकि, बिट्टू लुधियाना से चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर अमित शाह ने अपना वादा पूरा कर दिया है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए और लुधियाना से चुनाव लड़े, लेकिन वे कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से बीस हजार से अधिक वोट से हार गए।
पंजाब में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली और सभी 13 सीट पर भाजपा उम्मीदवार हार गए, तब लगा कि इस बार केंद्र में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, लेकिन भाजपा आलाकमान ने बिट्टू को मंत्री बना कर सीमावर्ती राज्य पंजाब का पूरा ध्यान रखा है। साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव को नजर में रखते हुए भाजपा ने जट सिख चेहरे पर दांव खेला है। वह पंजाब में खालिस्तानी विचारधारा के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं। पंजाब में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली और सभी 13 सीट पर भाजपा उम्मीदवार हार गए, तब लगा कि इस बार केंद्र में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, लेकिन भाजपा आलाकमान ने बिट्टू को मंत्री बना कर सीमावर्ती राज्य पंजाब का पूरा ध्यान रखा है। साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव को नजर में रखते हुए भाजपा ने जट सिख चेहरे पर दांव खेला है। वह पंजाब में खालिस्तानी विचारधारा के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं। रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्र हैं। चुनाव होने से पहले तक वह कांग्रेस पार्टी में थे। उन्होने अपना पार्टी बदली और भारतीय जनता पार्टी के लुधियाना लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार बने। सख़्त मुकाबले में वह जीत नहीं सके।