राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नवसारी के टाटा मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद में प्राकृतिक कृषि महिला सम्मेलन में नवसारी, वलसाड, तापी और डांग जिलों की किसान महिलाओं से सीधा संवाद किया।
राज्यपाल ने गुजरात नेचुरल फार्मिंग साइंस यूनिवर्सिटी, हालोल (कैंप- आणंद), वलसाड जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड, आलीपोर (वसुधारा) और नेशनल काउंसिल फॉर क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबल डेवलपमेंट एन्ड पब्लिक लीडरशिप, अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्राकृतिक कृषि महिला सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।राज्यपाल ने कहा कि गुजरात की महिलाओं ने पशुपालन और सहकारी गतिविधि के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है। अब गुजरात राज्य प्राकृतिक कृषि के जन आंदोलन में मातृशक्ति को जोड़कर एक नई क्रांति लाएगा।
खेती और किसानों की समृद्धि के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्राकृतिक कृषि को अपनाना आवश्यक बताते हुए उन्होंने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनने की अपील करते हुए कहा कि गुजरात के मेहनती किसान जैविक खेती करके देश के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
समारोह में उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व ‘ग्लोबल वार्मिंग’ की समस्या से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के पीछे रासायनिक कृषि का बड़ा योगदान है। प्राकृतिक कृषि से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होगा, जिससे सब्सिडी पर खर्च होने वाला पैसा बचेगा। जंगल में पेड़-पौधों को कोई खाद या कीटनाशक नहीं दिया जाता है, फिर भी वह बढ़ते और विकसित होते हैं। जंगल में अगर पेड़-पौधे प्राकृतिक नियमो से उगते हैं तो, खेत में भी उसी तरह खेती की जाए, यही प्राकृतिक कृषि है।
प्राकृतिक कृषि को किसानों की समृद्धि के लिए वरदान बताते हुए उन्होंने इस कृषि पद्धति के सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि में देशी गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग महत्वपूर्ण है। पृथ्वी और आकाश के ऑर्गेनिक कार्बन का संतुलन बनाए रखकर, विश्व के तमाम प्राणियों की ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से रक्षा की जा सकती है। रासायनिक कृषि की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और उत्पादन में गिरावट आई है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है।
राज्यपाल ने रासायनिक कृषि के दुष्परिणामों से मुक्ति पाने के लिए प्राकृतिक कृषि को एक सशक्त विकल्प करार देते हुए उपस्थित महिला किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों एवं जहरीले कीटनाशकों का त्याग करने और प्राकृतिक कृषि अपनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसान भावी पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, पानी, जमीन और जलवायु प्रदान करने का पवित्र कार्य कर रहे हैं।