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उत्तर प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण इकाई लगाने पर मिलेगी पांच करोड़ रुपये तक की छूट

उत्तर प्रदेश 319 लाख टन वार्षिक उत्पादन के साथ देश का शीर्ष दुग्ध उत्पादक राज्य है। जो कि देश के डेयरी उत्पादन में 16 प्रतिशत योगदान देता है।

दुग्ध प्रसंस्करण की इकाई लगाने पर मिलने वाली छूट 50 लाख से बढ़ाकर पांच करोड़ की जा रही है, ताकि दूध, घी, मक्खन, पनीर, दूध का पाउडर, दही, खोआ, आइसक्रीम आदि उपलब्धता बढ़े। ‘उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति 2023’ तैयार कर ली गई है, मुख्यमंत्री जल्द ही इस पर मुहर लगाएंगे। यह नीति जनवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित करेगी।

नई नीति के क्रियान्वयन और अनुश्रवण के लिए प्रोजेक्ट फैसिलिटेशन एंड डाटाबेस मैनेजमेंट सेंटर बनेगा, जिसमें प्रोजेक्ट का मूल्यांकन करने के साथ ही सेकेंड्री रिसर्च संबंधी डाटा के संग्रह का कार्य किया जाएगा। वहीं, निवेश प्रस्तावों को प्राप्त करने और निस्तारित करने के लिए सिंगल विंडो पोर्टल बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार एक करोड़ रुपये खर्च करेगी। प्रोत्साहन के लिए सरकार देगी अनुदान नई नीति में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह की छूट देने का प्रविधान है।

दुग्ध प्रसंस्करण से संबंधित इकाइयों के विस्तारीकरण पर प्लांट मशीनरी व तकनीकी के लिए लागत का 10 प्रतिशत पूंजीगत अनुदान मिलेगा, जिसकी अधिकतम सीमा पांच करोड़ रुपये होगी। इसमें मानकीकरण प्रोत्साहन के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों के लिए भुगतान की फीस और टेस्टिंग चार्ज के सापेक्ष 50 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा, जिसकी अधिकतम सीमा पांच लाख रुपये होगी। इन इकाइयों के पेटेंट डिजाइन व पंजीकरण के तहत भुगतान की गई फीस का 75 प्रतिशत की छूट सरकार देगी, जो अधिकतम पांच लाख रुपये होगा।

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास एवं ब्रांड प्रोत्साहन के तहत एयरपोर्ट/समुद्रीपोर्ट तक परिवहन के लिए तीन वर्षों के खर्च का 25 प्रतिशत, जिसमें प्रतिवर्ष एक निर्यातक को अधिकतम 20 लाख रुपये की छूट का प्रविधान है। एफओबी यानी फ्री आन बोर्ड का 20 प्रतिशत तीन वर्ष के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम 40 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। अन्य देशों को सैंपल भेजने के लिए लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम पांच लाख रुपये) का अनुदान मिलेगा।4500 करोड़ का निवेश मिलने की उम्मीद

योगी सरकार की नई दुग्ध नीति सूबे की वन ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य का आधार बनेगी। यह नीति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के साथ पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वहीं, तैयार की गई यह नीति जनवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी। नीति के माध्यम से 4500 करोड़ रुपये का निवेश की उम्मीद है।

सरकार ने ग्रीन फील्ड डेयरी की स्थापना के लिए 1500 करोड़ रुपये व क्षमता विकास एवं प्रौद्योगिकी उच्चीकरण के लिए भी 1500 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया जाएगा। कैटल फील्ड प्लांट की स्थापना, रेफ्रिजरेटेड वैन, इंसुलेटेड मिल्क टैंक व अन्य कोल्ड चेन इंवेस्टमेंट्स और लघु उद्यम आधारित दुग्ध प्रसंस्करण के लिए 500-500 करोड़ रुपये का निवेश पाने का लक्ष्य तय किया गया है।

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