केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर 40 फीसदी ड्यूटी रद्द कर दी है। इस संबंध में आदेश जारी हो चुका है। इसके अनुसार, दिसंबर के अंत तक न्यूनतम निर्यात शुल्क 800 डॉलर प्रति टन होगा। बताया जा रहा है कि प्याज का स्टॉक खत्म न हो, किसानों को सही कीमत मिले और कीमत स्थिर रहे, इसलिए यह फैसला लिया गया है।
मालूम हो कि इसी साल अगस्त के पहले हफ्ते में आई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि अगस्त के अंत तक देश में प्याज की कीमतों में बंपर बढ़ोतरी होगी। जिसके मद्देनजर केंद्र ने प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला लिया। इससे देश में घरेलू प्याज की आपूर्ति बहुत बढ़ गयी और प्याज की कीमतें तेजी से घटी। नतीजतन किसानों और थोक व्यापारियों को नुकसान होने लगा।khalihannews.com
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक में किसान व व्यापारी निर्यात शुल्क लगाने के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। प्याज के आयात पर भारी-भरकम शुल्क हटाने की मांग को लेकर प्याज का थोक व्यापार 13 दिनों तक बंद रहा। हालांकि केंद्र व राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद 3 अक्टूबर को हड़ताल खत्म हुई। तब सरकार ने इसका समाधान करने का आश्वासन दिया। साथ ही 2,410 रुपये क्विंटल के भाव पर 2 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने की घोषणा की, इसके लिए कुछ मंडियों में विशेष खरीद केंद्र भी खोले गए।
उधर, प्याज के मुद्दे पर महाराष्ट्र में सियासी माहौल भी खूब गरमाया। लेकिन सरकार ने कहा कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए यह कदम उठाया गया है। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 4 अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया। भारतीय प्याज सबसे ज्यादा बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात में निर्यात होती हैं। जिससे महाराष्ट्र के किसानों, प्याज व्यापारियों को बढ़िया मुनाफा मिल जाता है।
गौरतलब है कि प्याज के मुद्दे पर महाराष्ट्र में जमकर सियासत हुई थी। लेकिन सरकार ने साफ कहा था कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए यह कदम उठाया गया है। अब त्योहारों के सीज़न में प्याज की कीमतों में पर काबू पाया जा सकेगा। सियासी पार्टियों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने यह फैसला पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भी लिया है। पिछले दिनों कांग्रेसी नेता सांसद राहुल गांधी दिल्ली में आजादपुर सब्जी मंडी में पहुंचे थे। वहां उन्होंने आढ़तियों, पल्लेदारों, मजदूरों और फुटकर सब्जी विक्रेताओं से बातचीत करते हुए सब्जी उगाने वाले किसानों और मंडियों में काम करने वालों की समस्या को बातचीत भी की थी।