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हरियाणा और राजस्थान में कपास के खेतों पर गुलाबी सुंडी (वाल वार्म) का प्रकोप

हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती ज्यादातर हिस्सों में किसान कपास (नरमा) की बुवाई करते हैं। इस साल भी खेतों में तैयार होती फसल में गुलाबी सुंडी की वजह से किसानों की नींद उड़ी हुई है। इसके बचाव में किसान बड़ी लागत से कीटनाशक दवाओ का छिड़काव करते हैं। किसानों को इसी खर्च और फसल को बचाने के लिए सूबे में देसी कपास बोने की सलाह दी थी।

गुलाबी सुंडी से प्रभावित हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी जिले है। राजस्थान में श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़ और पंजाब के अबोहर व मानसा जिलों में गुलाबी सुंडी की वजह से किसानों में बेचैनी है। हिसार, भिवानी फतेहाबाद,वो जिले हैं जहां पर हरियाणा का लगभग 70 फीसदी कपास का उत्पादन होता है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि गुलाबी पिंकवॉर्म का हमला 70 फीसदी फसल पर हुआ है। सूबे के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि किसानों को जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा किसानों को दिलाने के लिए वो इस मामले को सीएम के सामने रखेंगे।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस खरीफ सीजन में राज्य में लगभग 6.5 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई थी. हिसार में गुलाबी बॉलवॉर्म के प्रकोप के कारण किसानों की 80 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है। किसानों का कहना कि अब खेतों में इससे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कपास की गेंदों को बॉलवर्म ने खा लिया है, जो लगभग हर पौधे पर दिखाई देता है।

किसानों का कहना है कि इस सीजन में उनकी कपास और धान की फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है। कम बारिश जैसे मौसम की विपरीत स्थितियों के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। हर जिले के किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है।

हरियाणा कॄषि विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे समय-समय पर किसानों को कीट के हमले के बारे में सलाह जारी करते रहे हैं। वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि कपास किसानों को जो नुकसान हुआ है उन्हें बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। जो फसलें पीएमएफबीवाई के तहत बीमित नहीं है उनकी भी गिरदवारी कर किसानों को मुआवजा देने की मांग वो मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे।

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