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तराई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ये हैं गेहूं की अच्छी किस्में

दीपावली के त्योहार तक धान खेत से कटने के बाद खलिहान तक आ जायेगा| इस दौरान किसान अपने खेतों की ज़मीन को गेहूं बोने लायक बना लेंगे| इस किसान की कोशिश ज्यादा पैदावार वाले बीज के साथ ऐसे बीज बोने की भी है जो जलवायु परिवर्तन का सामना भी कर सके |अगेती किस्मों की बुवाई किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है| क्योंकि उन्हें लू से बचने की संभावना ज्यादा रहती है| नवंबर से दिसंबर तक बोई जाने वाली क्षेत्रवार गेहूं की किस्मों के बारे में जानिए|

सबसे पहले हम भावर एवं तराई क्षेत्र जनपद और पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के जिलों के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्मों की जानकारी दे रहे हैं| अगेती किस्मों की बुवाई किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है| क्योंकि उन्हें लू से बचने की संभावना ज्यादा रहती है|

भावर और तराई क्षेत्र के जिलों जैसे सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच एवं श्रावस्ती का उत्तरी भाग के लिए गेहूं की किस्में.

बुआई का समय: अक्टूबर का दूसरा सप्ताह
असिंचित दशा: एचयूडब्लू-533, के- 8027, के-9351, एचडी-2888
बुआई का समय: नवंबर का प्रथम पक्ष (भावर भूमि के लिए).
असिंचित दशा: के-8027, के 8962, के-9465, के 9351
सिंचित दशा: यू.पी.-2338, डब्लूएच-542, पीबीडब्लू-343, यूपी-2382, एचडी-2687, के-9107, पीबीडब्लू-590, के-9006, डीबीडब्लू-17, पीबीडब्लू-550, के 307 (शताब्दी).
बुआई का समय: विलम्ब से बुआई, 25 दिसंबर तक.
सिंचित दशा: राज-3765, पीबीडब्लू-373, के-9162, यूपी-2425, नैना एनडब्लू-1076, नैना (के- 9533), डीबीडब्लू-14, डीबी डब्लू-16, के-9423, पीबीडब्लू-590.
पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के जिलों जैसे सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलन्दशहर के लिए गेहूं की किस्में.

बुआई का समय: अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक.
असिंचित दशा: के.-8027 (मगहर), एचयूडब्लूएस-533

बुआई का समय: नवंबर का दूसरा सप्ताह.
असिंचित दशा: पीबीडब्लू.-175, के 8027, के-8962, के-9465, के-9351, डब्लूएच-147
सिंचित दशा: यूपी-2338, डब्लूएच-542, पीबीडब्लू-343, यूपी-2382, एचडी-2687, के-9107, पीबीडब्लू.-502, के-9006, डीबीडब्लू-17, पीबीडब्लू-550, के-307 (शताब्दी), एचडी- 2967

बुआई का समय: विलम्ब से बुआई, 25 दिसंबर तक.
सिंचित दशा: राज-3765, यूपी-2338, पीबीडब्लू-373, के-8020, यूपी-2425, एनडब्लू-1076, के 9423, के-7903, नैना (के-9533), डीबीडब्लू-16

अब करते हैं दक्षिणी-पश्चिमी अर्धशुष्क क्षेत्र के जिलों के लिए गेहूं की किस्मों के बारे में| इनमें अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी और एटा जिले आते हैं|

बुआई का समय: अक्टूबर का दूसरा सप्ताह.
असिंचित दशा: के-8027, एचयूडब्लू-533, के-9351

बुआई का समय: नवम्बर का पहला सप्ताह.
असिंचित दशा: के-8027, के-8962, के-9465, के-9351, के-9644

बुआई का समय: समय से बुआई 25 नवंबर तक.
सिंचित दशा: पी.बी.डब्लू.-343, यू.पी.-2338, के.-9006, के.-9107, के.-307, एच. डी.- 2687,यू.पी-2382, पीडीडब्लू-233, पीडीडब्लू.-215, डब्लूएच-896, एचआई-8381, पीबीडब्लू.-502.

बुआई का समय: विलम्ब से बुआई 25 दिसंबर तक| मालवीय-234, यूपी-2338, राज-3077, राज-3765, पीबीडब्लू.-373, यूपी-2425, के-9162, के-7903, के-9533, एनडब्लू-1076, डीबीडब्लू-16

ऊसर क्षेत्र के लिए: केआरएल 1-4, के-8434, केआरएल-19, एनडब्लू-1067, केआरएल-210, केआरएल-213, के-8434
पिछले साल यूपी, हरियाणा और पंजाब सहित कई क्षेत्रों में समय से पहले लू चलने की वजह से गेहूं की फसल खराब हो गई थी| इसलिए उत्पादन कम हुआ था| ऐसे में किसान यदि अच्छी और अगेती किस्मों की गेहूं की खेती करेंगे तो वो पिछले साल जैसे नुकसान से बच सकते हैं|

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