उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार प्रति हेक्टेयर पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष किसानों को देगी। इस धनराशि से किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना के तहत पहले साल किसानों को खेती करने के तरीके और खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 11 जिलों में 128 कलस्टर का चयन भी किया गया है।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती पर जोर है।
केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से प्राकृृतिक खेती के लिए लगभग 6400 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल चयनित किया गया है, जिसमें 50 हेक्टेयर का एक कलस्टर होगा। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना शुरू की है। इस योजना के माध्यम से भी किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही गैप फंडिंग की जाएगी।
कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि रुद्रप्रयाग व ऊधमसिंह नगर जिले को फिलहाल प्राकृतिक खेती योजना में शामिल नहीं किया गया है। अन्य 11 जिलों में प्राकृतिक खेती पर काम किया जाएगा। चयनित कलस्टरों में किसी तरह की रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
जैविक खेती के मामले में विश्वभर में अपनी छाप छोड़ने वाले जर्मनी और फ्रांस के विशेषज्ञ आने वाले दिनों में उत्तराखंड के किसानों को भी इसके गुर सिखाएंगे। जर्मनी की संस्था आइफोम-आर्गेनिक्स इंटरनेशनल से इस सिलसिले में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
साथ ही जैविक कृषि उत्पादों से जुड़ी फ्रांस की विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि भी उत्तराखंड के दौरे पर आएंगे। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने यूरोपीय देशों जर्मनी, फ्रांस व स्विट्जरलैंड के 10 दिवसीय दौरे से लौटने के बाद शनिवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में पत्रकारों से बातचीत में वहां के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि इस दौरान राज्य के जैविक उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं भी टटोली गईं।