मध्य प्रदेश का मालवा इलाके को अच्छी कपास के लिए पहचाना जाता है। यहां की उपजाऊ जमीन में कपास के फूल किसानों को आर्थिक मजबूती देता है। कपास बोने वाले किसानों को अच्छे बीज चाहिए। बीजों की किल्लत है।मालवा के किसानों की कपास की बोवनी के लिए खेतों को तैयार करने के बाद अब उन्नत बीज की तलाश है। कृषि विभाग ने 70 कंपनियों के बीजों को अनुशंसित किया है। रासी सीड्स (659) एवं आशा-1 कपास बीज की खास मांग है। जानकारों के अनुसार इन किस्मों में बेहतर उत्पादन मिलता है, इसलिए इन बीजों की मांग सबसे ज्यादा है। कसरावद के किसान महेन्द्र पाटीदार कहते हैं कि वैरायटी को जल्दी लगाना पड़ता है। लंबी अवधि के पौधे का उत्पादन बहुत अच्छा होता है। मंडी में अच्छे भाव देता है। सबसे पहले यही बिकता है। इसलिए लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं।
मिली जानकारी अनुसार शासन ने कपास के बीज के एक पैकेट की कीमत 864 रुपए निर्धारित की है। पर इसके लिए किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि पिछले साल दक्षिण भारत में कपास की फसल ख़राब होने की वजह से इस बीज की शार्टेज हो गयी है। सबसे ज्यादा मुश्किल हालात खरगोन जिले में हैं।
मालवा का इलाका कपास की खेती के लिए जाना जाता है। यहां कपास का बंपर उत्पादन होता है। कृषि विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश में साल 2020-21 में 877 हजार मीट्रिक टन कपास का उत्पादन हुआ था। इसमें सबसे ज्यादा योगदान मालवा इलाके का ही हैं। खरगोन, बड़वानी, धार और खंडवा जिले में कपास की फसल ज्यादा ली जाती है।
कृषि विभाग ने 70 कंपनियों के बीजों को अनुशंसित किया है। रासी सीड्स (659) एवं आशा-1 कपास बीज की खास मांग है। जानकारों के अनुसार इन किस्मों में बेहतर उत्पादन मिलता है, इसलिए इन बीजों की मांग सबसे ज्यादा है। किसान कहते हैं कि अच्छी प्रजाति को जल्दी लगाना पड़ता है। लंबी अवधि के पौधे का उत्पादन बहुत अच्छा होता है। मंडी में अच्छे भाव देता है। सबसे पहले यही बिकता है। इसलिए लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं। शासन ने कपास के बीज के एक पैकेट की कीमत 864 रुपए निर्धारित की है। पर इसके लिए किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।