देश में कुल 37.6 लाख हेक्टेयर जमीन ऊसर है। इन जमीनों पर किसान खेती न के बराबर करते हैं। इस किस्म से करीब 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है।
ऊसर भूमि पर लगातार शोध करने वाले केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि सीएसआर-36 किस्म को पीएच मान 9.8 वाली जमीन पर भी उगाया जा सकता है। इस किस्म के धान के पौधों की लंबाई 100 से 110 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसकी फसल 130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने धान की 4 ऐसी किस्मों को विकसित किया है, जिसकी खेती ऊसर जमीन पर भी की जा सकती है। बताया गया है कि धान की इन किस्मों के आने से धान पैदा करने वाले राज्यों में भी धान का रकबा बढ़ जाएगा। ऊसर में धान की पैदावार होने से देश में धान की उपज में भी इजाफा होगा। इन किस्मों से एक का नाम सीएस आर- 36 है।
उत्तर प्रदेश की करें तो, इन किस्मों के विकसित होने से यहां पर धान के रकबा बढ़ने से सूबे में धान की उपज में इजाफा होने की उम्मीद बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश में करीब 13 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन ऊसर है।
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