अब किसी भी मौसम में देश के किसी भी हिस्से में सेब उगाया जा सकता है. उन पौधों को भी दिखाया जिन पर रिसर्च की जा रही है.
गर्मी में होने वाला सेब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होने वाले सेब के स्वाद के मुकाबले किसी भी तरह से कम नहीं है। विषय विशेषज्ञों का कहना है कि अब यूपी-बिहार ही नहीं राजस्थान में भी सेब उगाया जा सकता है। शर्त यह है कि किसा, वैज्ञानिकों की सलाह का पालन करें। साथ ही सेब के पौधे की पूरी तरह से उचित देखभाल करें।
यूपी और देश के दूसरे मैदानी इलाकों में सेब की पैदावार होने की खबरें आ रही हैं। आम लोगों के लिए यह बेशक चौंकाने वाली बात है लेकिन अब ऐसा मुमकिन है। सेब की जो वैराइटी यूपी-बिहार में हो रही है वो लो चिलिंग एरिया की है। यह वैराइटी हैं अन्नाा, फूजी, सन फूजी और डोसर्ट गोल्डन।
लो चिलिंग एरिया की किस्मों को कम ठंडक की जरूरत होती है। जैसे हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में होने वाले सेब को करीब एक हजार घंटे की ठंडक की जरूरत होती है। लो चिलिंग एरिया में होने वाली किस्मों को करीब 500 घंटे की ठंडक चाहिए होती है। मैदानी इलाके में इस तरह की ठंडक सर्दी के मौसम में दिसम्बर-जनवरी में मिल जाती है।
सेब के पौधे को उचित देखभाल की जरूरत होती है। सेब मे बीमारियां जल्दी लगती हैं। मैदानी इलाकों में दिसम्बर-जनवरी में इसके पौधे लगाए जा सकते हैं। इसके लिए एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा गड्डा खोदना होगा। लेकिन इस दौरान यह ख्याल रहे कि आधा मीटर की खुदाई होने पर उस मिट्टी को अलग रखें और सबसे नीचे के आधा मीटर की मिट्टी को अलग। गड्डे को भरने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से धूप दिखा दें।
सेब का पौधा तैयार करने के लिए जंगल से सेब के पौधे की जड़ ली जाती है या फिर टिश्यू कल्चर से । उसके बाद उस जड़ में क्राफ्ट तकनीक से सेब की जो किस्में उगानी है उसकी कलम लगा दी जाती है।