छत्तीसगढ़ में गौठान, डे-केयर पशु इकाइयां हैं, जहां पशुधन की देखरेख, चारे-पानी और उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे के प्रबंध के लिए हाईब्रिड नेपियर ग्रास का रोपण और अन्य चारे की बुआई कर चारागाह का विकास लगातार किया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा अब तक 10,624 गांवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिसमें से 8,408 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इस समय 1,779 गौठानों का तेजी से निर्माण कराया जा रहा है। शेष 444 गौठानों के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है।
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ़ बनती दिख रही है। यह योजना इस समय गांवों में आय और रोजगार का प्रभावी विकल्प बन गई है। यही वजह है कि बीते वर्षों में राज्य में निर्मित और संचालित गौठानों की संख्या में 44 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसके चलते गौठानों की संख्या 5,847 से बढ़कर 8,408 हो गई है।
गोधन न्याय योजना के तहत लाभान्वित पशुपालकों की संख्या में भी 24 फीसदी का इजाफा हुआ है। गौठानों में गोबर बेचने वाले ग्रामीण पशुपालकों की संख्या एक साल में 1,70,508 से बढ़कर 2,11,540 हो गई है। गोधन न्याय योजनांतर्गत पंजीकृत पशुपालकों की संख्या 3,10,073 है।
गौठान, डे-केयर पशु इकाइयां हैं, जहां पशुधन की देखरेख, चारे-पानी और उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे के प्रबंध के लिए हाईब्रिड नेपियर ग्रास का रोपण और अन्य चारे की बुआई कर चारागाह का विकास लगातार किया जा रहा है।
गोबर से विद्युत उत्पादन की भी शुरुआत रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा जिले के गौठानों में की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी बनाने के लिए राज्य के 75 चयनित गौठानों में मशीनें लगाई जा रही हैं। गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित कर वहां प्रोसेसिंग यूनिटें भी लगाई जा रही हैं। राज्य के 227 गौठानों में तेल मिल और 251 गौठानों में दाल मिल स्थापना का काम तेजी से जारी है।