सरकार चाहती है कि किसान खेती में यूरिया सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करें और प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल करें | इसमें ढैंचा बीज का नाम सबसे आगे रहता है | ढैंचा बीज कम खर्च पर खाद का जुगाड़ माना जाता है | किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले इसकी आवश्यक रूप से बुवाई करनी चाहिए |
यूरिया का एक अच्छा इको फ्रैंडली ऑप्शन है | यूरिया के ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी गुणवत्ता खराब हो जाती है, जबकि हरी खाद की खेती के कोई साइ़ड इफेक्ट नहीं है | ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है | मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है | हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर पाया गया है, इसलिए हरी खाद ढेंचा की खेती पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है | इससे किसान अच्छी उपज पा सकते हैं |
हरियाणा के किसान ढैंचा के बीज अनुदान पर प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए आवेदन करना होगा | इसके साथ ही सभी जरूरी दस्तावेजों की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर जमा करानी होगी| यहीं पर किसानों को 20 प्रतिशत की राशि का भुगतान करके किसान भाई अनुदान पर हरी खाद का बीज हासिल कर सकते हैं |
ढेंचा के बीजों को अनुदान पर हासिल कर सकते हैं | इसके लिए मेरी फसल–मेरा ब्यौरा पोर्टल या www.agriharayana.gov.in पर 4 अप्रैल 2023 ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी गई है | यहां किसान अपना पंजीकरण कर सकते हैं |