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काले गेहूं के बाद अब नीले रंग के गेहूं की खेती, विदेशों से भारी मांग

नीले रंग के गेहूं न केवल रंग में सामान्य गेहूं से अलग होते हैं बल्कि सामान्य गेहूं से कई गुना पौष्टिक और सेहत के लिए लाभकारी भी होता हैं। इस प्रकार के गेहूं के इस्तेमाल से ब्लड शुगर लेवर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और बॉडी फैट लेवल को कम करने में सहायता मिलती है। नीले रंग के गेहूं की रोटियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं। वहीं इससे बेकरी के उत्पाद ब्रेड और बिस्कुट बनाए जाते हैं जो रंग में नीले होते हैं और सेहत के लिए भी काफी अच्छे होते हैं।

मध्यप्रदेश के किसान काले गेहूं की खेती के बाद अब यहां के किसानों ने नीले गेहूं की खेती करनी शुरू कर दी है। इस संबंध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि है जी-20 के कृषि समूह की बैठक में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नीले गेहूं, शुगर फ्री आलू और बीज बैंक के रूप में हुए नवाचारों ने ध्यान आकर्षित किया है। इस जी-20 सम्मेलन में नीले रंग के गेहूं की स्टाल भी लगाई गई। स्टाल में जानकारी दी गई कि इस नीले रंग के गेहूं का बेकरी उत्पाद बनाने में इस्तेमाल हो रहा है।

इस गेहूं प्रकार के गेहूं के निर्यात के लिए अगले साल के लिए आर्डर भी मिले हैं। ऐसे में नीले रंग के गेहूं की खेती यहां के किसानों की किस्मत को चमका सकती है। इसकी खेती करके यहां के किसानों को काफी बेहतर लाभ हो सकता है।

काले और नीले और बैंगनी रंग के गेहूं की बुवाई मध्य नबंवर से मध्य दिसंबर तक की जाती है। इसकी उपज दर 17 से 19 क्विंटल प्रति एकड तक प्राप्त की जा सकती है। बात करें इस गेहूं की रंग की तो गेहूं में पाए जाने वाले एंथोसायनिन के कारण इसका रंग अपने आप काला, नीला या बैंगनी हो जाता है। यह दाना बनने के दौरान प्राकृतिक रूप से होता है।

काले रंग के गेहूं में एंथोसायनिन पिगमेंट के कारण इसका रंग काला बनाता है। इसी प्रकार नीले रंग के गेहूं में भी इसी तत्व के कारण इसका रंग नीला हो जाता है। हालांकि इसकी खेती साधारण गेहूं की तरह ही होती है लेकिन इसमें कुछ विशेष सावधानी किसानों को बरतनी पड़ती है। इसका बीज किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इसके भाव भी साधारण गेहूं के भाव से ज्यादा होते हैं ऐसे में नीले रंग के गेहूं की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

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