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पंजाब के किसान रासायनिक खाद के इस्तेमाल में सबसे आगे, हरियाणा दूसरे नंबर पर

ज़्यादा पैदावार के लिए किसानों ने रासायनिक खाद का इस् इस्तेमाल बढ़ा दिया है| इसी का नतीजा है की रासायनिक खाद की खपत कहीं ज्यादा हो गई है| खेतों को अब हर फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होने लगी है| जमीन की ताकत लगातार कम होने से रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने वाले किसानों पर ज्यादा आर्थिक बोझ आ गया है| इसी वजह से फसलों की लागत लगातार बढ़ रही है और किसान की आमदनी क का बड़ा खर्च कीटनाशकों, सिंचाई और रासायनिक खादों पर खर्च हो रहा है|

पंजाब रासायनिक खादों की खपत के मामले में पहले नंबर पर हैं| इस मामले में हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर है और उत्तर प्रदेश पांचवें नंबर पर आ खड़ा हुआ है|
रासायनिक खादों के इस्तेमाल से जहां खेतों की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है| सिंचाई के लिए भी जमीन का दोहन ज्यादा हो गया है|

खेतों में ज्यादा रासायनिक खादों का अर्थ है सरकार पर सब्सिडी के रूप में ज्यादा आर्थिक बोझ और कई खादों के मामले में दूसरे देशों की निर्भर होना| यही वजह है कि अब सरकार है गोबर व जैविक खाद पर ज्यादा जोर दे रही हैं| अब सरकार की मंशा ऐसे मोटे अनाज उगाने पर है जिन पर सिंचाई का खर्च कम होता है|

वर्ष 2021-22 के लिए राज्य में पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटाश) द्वारा उर्वरकों की खपत 253.94 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही। इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है, जहां रासायनिक उर्वरक की खपत 210.10 किग्रा. है। तीसरे स्थान पर तेलंगाना (206 किग्रा.), चौथे पर आंध्रप्रदेश (199.67 किग्रा.) और 5वें स्थान पर उत्तर प्रदेश है।

1 किलोग्राम रासायानिक ‌उवर्रक से 50 किग्रा. उपज होती थी, अब घटकर 8 किलोग्राम रह गई है|
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार महज 30 प्रतिशत रासायनिक उर्वरक फसल के लिए उपयोगी होती है। बाकी मिट्टी की कुदरती उर्वरता को तेजी से नष्ट कर रहे हैं। हरित क्रांति के शुरुआती सालों में 1 किलोग्राम रासायानिक ‌उवर्रक के इस्तेमाल से 50 किलोग्राम उपज होती थी जो अब घटकर 8 किलोग्राम रह गई है। इसलिए अब ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।

रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुध इस्तेमाल से जहां खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है, वहीं सिंचाई के लिए पानी की भी कमी होती जा रही। सरकार ने इसलिए गोबर की खाद और कम पानी पीने वाले मोटे अनाज को बोने जैसी योजनाओं के लिए किसानों को प्रेरित करना शुरु किया है|

प्रति हेक्टेयर रासायनिक उर्वरक के उपयोग में पंजाब देश में पहले तो हरियाणा दूसरे स्थान पर
रासायनिक उर्वरक के अधिक उपयोग से मिट्‌टी की उर्वरता नष्ट हो रही
पिछले 5 वर्षों में पंजाब में रासायनिक उर्वरक की खपत लगातार बढ़ रही है|

जैव उर्वरकों (बायो फर्टिलाइजर) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 3 साल के लिए 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसमें से 31,000 रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों को मिलते हैं। लेकिन फिर भी किसानों में इसके प्रति उत्साह नहीं है।

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