अपने बड़े आकार और पौष्टिक गुणों की वजह से हिमाचल प्रदेश में उगाये जा रहे लहसुन की मांग लगातार बढ़ रही है | राज्य के लहसुन का बड़ा खरीदार दक्षिण भारत के व्यापारी हैं| हिमाचल में ‘एक जिला-एक उत्पाद’ के तहत सिरमौर जिले को लहसुन उत्पादन के लिए चुना गया है|
उच्च गुणवत्ता का होने के कारण यहां के लहसुन की मांग दक्षिण भारत तक रहती है। काफी अधिक मात्रा में लहसुन दक्षिण भारत की मंडियों में सप्लाई होता है। इसके अलावा देश की विभिन्न मंडियों तक यहां का लहसुन पहुंचता है। पौष्टिक तत्व होने के साथ-साथ आकार में बड़ा होने के कारण ही इसकी मांग अधिक रहती है। यही वजह है कि किसान भी अब इसे व्यावसायिक फसल के रूप में लेकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।
दरअसल वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (एक जिला एक उत्पाद) के तहत सिरमौर जिले में लहसुन की फसल मुख्य व्यावसायिक फसल है, जिससे किसान अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। प्रदेशभर में सबसे अधिक सिरमौर जिले में ही लहसुन के अंतर्गत उत्पादन क्षेत्र आता है। यानी यह नगदी फसल सबसे अधिक जिले में ही उगाई जा रही है। पिछले वर्ष भी किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिले थे। 80 रुपये से 120 रुपये किलो तक किसानों को दाम मिले थे। इन दिनों जिले के विभिन्न इलाकों में किसानों ने लहसुन उगाई है। इस वर्ष भी किसान अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जता रहे हैं।
सिरमौर जिले के किसानों का रुझान लहसुन उत्पादन की तरफ बढ़ रहा है। पिछले 6 सालों में 2,307 हेक्टेयर भूमि में लहसुन उत्पादन का दायरा बढ़ा है। जिले में साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ रहा है। वर्तमान में 60,650 मीट्रिक टन उत्पादन पहुंच चुका है। वर्ष 2016 की बात करें तो जिले में 1,693 हेक्टेयर भूमि पर 26,580 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन हो रहा था। वहीं, अब इसका उत्पादन क्षेत्र 4000 हेक्टेयर तक जा पहुंचा है।