जंगल कौड़िया के राखूखोर गांव की रहने वाली सफल महिला किसान कोइला देवी ने बहुत तकलीफ़ें झेलीं, पर हिम्मत नहीं हारी। कभी मज़दूरी ही उनकी रोज़ी-रोटी का साधन था, लेकिन कोइला देवी का जुनून उन्हें खेती की ओर खींच लाया। अपनी चार डिसमिल ज़मीन में उन्होंने सावां, मडुआ, टागुन, सब्जी, हल्दी वग़ैरह उगाना शुरू किया, जिससे उनकी आमदनी में अच्छा इज़ाफ़ा हुआ और आज वह एक सफल महिला किसान हैं।
कोइला देवी ने वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल कर, साल 2020 में गेहूं की करण वंदना प्रजाति उगाई और सिर्फ़ 66 वर्गमीटर ज़मीन में 220 किग्रा. गेहूं का उत्पादन किया। वह गोरखपुर एन्वायरमेंटल ऐक्शन ग्रुप से जुड़ीं और जैविक खाद बनाना सीखा। अब वह मटका खाद, वर्मीकम्पोस्ट बनाकर खुद भी इस्तेमाल करती हैं और बाक़ी किसानों को भी बेचती हैं।
2019 में ‘उत्कृष्ट किसान सम्मान’ से नवाज़ी जा चुकीं कोइला देवी ने डीएसटी कोर सपोर्ट परियोजना से जुड़कर माँ वैष्णो देवी स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की, जिसमें अब 13 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। ये सभी आपसी बैंकिंग से एक दूसरे की आर्थिक मदद करती हैं। इस बैंक की मदद से ही कोइला देवी ने बंटाई पर दो बीघा खेत लिया है। इसमें वह धान, मूंगफली, गेहूं और सरसों उगाती हैं।
आज कोइला देवी अन्य किसानों को भी किसानी की बारीकियां समझाती हैं और खुद अपने खेत में मेहनत कर अपना परिवार भी चला रही हैं। संसाधनों के अभाव में चुनौतियों के आगे जो लोग घुटने टेक देते हैं, कोइला देवी उनकी सोच बदलने का एक ज़रिया बन चुकी हैं।