बिहार में कुक्कुट-पालन उद्योग में पिछले पांच सालों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है| इसका बड़ा कारण बिहार सरकार से मिलने वाले अनुदान और सहायता एक कारण है| दूसरा सबसे बड़ा कारण है, मक्का का बहुतायत में उपलब्धता, जो कि मुर्गी को खिलाने में काम आता है| इस बार आंध्र प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की कुछ कंपनियां यहां के किसानों से मक्का खरीद रही हैं|
बिहार में तेजी से फल रहा मुर्गी पालन व्यवसाय. दरअसल, मुर्गी पालन में मक्का की काफी खपत होती है| इसके अलावा, दूसरे प्रदेश में मुर्गी पालन करने वाली कंपनियां भी बिहार में ही अपना वेयर हाउस बना रही हैं| इन दो वजहों से पिछले साल के मुकाबले कीमतों में बढ़ोतरी हुई है|
बिहार के सात जिलों ने मक्का के मामले में अमेरिका के उन क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है, जहां की उत्पादकता विश्व में सबसे अधिक है। राज्य के इन जिलों में आज मक्का की उत्पादकता 50 क्विंटल प्रति एकड़ हो गई है। यह विश्व की सबसे अधिक उत्पादकता 48 क्विंटल प्रति एकड़ वाले से अमेरिकी क्षेत्र- इलिनोइस, आयोवा और इंडियाना से अधिक है। हालांकि कुल उत्पादन के मामले में देश में ही बिहार दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर तमिलनाडु है। इसका प्रमुख कारण है कि राज्य में केवल रबी मौसम में ही मक्का की फसल अधिक होती है|
इन सबके बीच किसानों के लिए एक अच्छी खबर है कि उनके मक्का की कीमत पिछले साल के मुकाबले इस साल बढ़ी है| डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मक्का वैज्ञानिक डॉक्टर मृत्युंजय कुमार बताते हैं कि यहां की जमीन में मक्के की सबसे बेहतरीन फसल होती है इसलिए किसान यहां खेती करते हैं और एक हेक्टेयर में 50 क्विंटल तक मक्का उपजाते हैं| यहां 8 लाख हेक्टेयर में मक्के की फसल लगी थी| यहां हजारों टन मक्का की फसल तैयार हो चुकी है|
मक्का रखने के लिए वेयरहाउस कंपनियों की मदद से बन रहे हैं| समस्तीपुर, मधेपुरा और बेगूसराय सहित कई जिले में इस तरह की रिपोर्ट है कि वेयरहाउस बनाने के लिए आवेदन भी आए हैं| दर्जनों वेयरहाउस किसानों ने बनाया है, जिसमें मक्का खरीद कर रखा जा रहा है जोकि बाद में यहां से उन प्रदेशों में भेजा जाता है|