कृषि आधारित सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे की औद्योगिक इकाइयों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के एमएसएमई विभाग ने 4000 करोड़ रुपये की यूपी एग्रीज परियोजना तैयार की है।
नीति आयोग तथा केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुमोदन के बाद वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने परियोजना को मंजूर करते हुए इसे विश्व बैंक को संदर्भित कर दिया है। अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि यूपी एग्रीज जैसी बहुक्षेत्रीय परियोजना कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र की एमएसएमई इकाइयों में उत्पादन के साथ विपणन से जुड़े पहलुओं पर केंद्रित होगी।
उत्पादन के स्तर पर यह प्राकृतिक खेती, कृषक उत्पादक संगठनों, फार्म फील्ड स्कूलों के लिए तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराएगी। वहीं विपणन के मोर्चे पर यह निर्यात की संभावनाओं वाली वस्तुओं को चिन्हित करने, स्थानीय उत्पादों को एक जिला एक उत्पाद योजना से जोड़ने, प्रसंस्कृत उत्पादों के ई-कामर्स के लिए तकनीकी सहायता देगी।
यह परियोजना केंद्र की प्रधानमंत्री फार्मलाइजेशन आफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना व नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड व राज्य सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना से जुड़कर भी काम करेगी। परियोजना में विश्व बैंक की साझेदारी के कई लाभ प्रदेश को मिलेंगे।
लैटिन अमेरिका के प्रोडक्टिव एलायंस माडल, पूर्वी एशिया के एक गांव एक उत्पाद माडल का लाभ मिलेगा। कृषि आधारित एमएसएमई इकाइयों में निजी निवेश और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। सहगल ने बताया कि परियोजना के बारे में राज्य सरकार से चर्चा करने के लिए विश्व बैंक की टीम 13 व 14 सितंबर को यहां आएगी।