चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग को ज्वार फसल पर उत्कृष्ठ अनुसंधानों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2021-22 का सर्वश्रेष्ठ अुनसंधान केन्द्र अवार्ड प्रदान किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद, नई दिल्ली के अंतर्गत भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (ज्वार) की 52वीं वार्षिक समूह बैठक में उपरोक्त परिषद् के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने यह अवार्ड प्रदान किया।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने हाल ही के वर्षों में ज्वार की उन्नत किस्मों के विकास, ज्वार में फास्फोरस व पोटाश जैसे पोषक तत्वों के प्रबंधन के साथ चारे वाली ज्वार के बीज उत्पादन में बहुत सराहनीय कार्य किए हैं जिनके दृष्टिगत ये अवार्ड दिया गया है। इस अनुभाग ने अब तक ज्वार की 13 उन्नत किस्में विकसित की हैं। इनमें से सीएसवी-53 एफ किस्म, एचजेएच-1513 व एचजे-1514 हाल ही में विकसित की गई हैं जिनके लिए चारा अनुभाग को यह अवार्ड प्रदान किया गया है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अनुभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि ये किस्में किसानों व पशुपालकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगी।
ज्वार की नई किस्मों की यह हैं विशेषताएं: विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने जवार की नई किस्मों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि इन तीनों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा व पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत उत्तम हैं। उन्होंने बताया ज्वार की सीएसवी 53 एफ एक कटाई वाली किस्म है जिसको गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उतराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक व तमिलनाडू राज्यों के लिए चिन्हित किया गया है। इस किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 483 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। यह शूट फ्लाई, स्टेम बोरर जैसे कीड़ों के प्रति रोधी है व ग्रे लीफ स्पॉट व शूटी स्ट्रिप बीमारी के प्रति प्रतिरोधी है। चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। इन वैज्ञानिकों में डॉ. पम्मी कुमारी, एस.के. पाहुजा, डी.एस. फोगाट, सतपाल, एन. खरोड़, बी.एल. शर्मा एवं मनजीत सिंह की टीम ने विकसित किया है।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा ने बताया ज्वार की एचजेएच 1513 व एचजे 1514 किस्में हरियाणा राज्य में बिजाई के लिए चिन्हित की गई हैं। इनमें से एचजेएच 1513 एक कटाई वाली हाइब्रिड किस्म है और इसकी हरे चारे की औसत पैदावार 717 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह मीठी व जूसी किस्म है जिसमे 8.6 प्रतिशत प्रोटीन व 53 प्रतिशत पाचनशीलता है। यह पत्ती रोगों के प्रति प्रतिरोधी व शूट फ्लाई व स्टेम बोरर कीड़ों के प्रति सहनशील है। इस किस्म को विकसित करने का श्रेय डॉ. पी. कुमारी, डी.एस. फोगाट, एस. आर्य, एस.के. पाहुजा, सतपाल, एन. खरोड़, बी.एल. शर्मा, डी.पी. सिंह, मनजीत सिंह व सरिता देवी को जाता है।
इसी प्रकार एचजे 1514 एक कटाई वाली किस्म है जिसकी हरे चारे की पैदावार 664 व सूखे चारे की पैदावार 161 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह अधिक प्रोटीन वाली किस्म है। यह पत्ती रोगों के प्रति प्रतिरोधी व शूट फलाई व स्टेम बोरर कीड़ों के प्रति सहनशील है। इस किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों में डॉ. पी. कुमारी, डी.एस. फोगाट, एस. आर्य, एस.के. पाहुजा, सतपाल, एन. खरोड़, बी.एल. शर्मा, डी.पी. सिंह, विनोद कुमार व सरिता देवी शामिल हैं।